END COUNTER Movie Review and Rating:  नासिक की एक सच्ची घटना पर आधारित बताई जा रही यह फिल्म शुरू में कुछ रोचक लगती है, लेकिन अंत की ओर बढ़ते हुए बिखरने लगती है। इसका विषय है एनकाउंटर। कई बार पुलिस ऐसे लोगों की हत्या कर देती है जो किसी विरोधी गुट के साथ झगड़े में फंसे होते हैं। एक तरह से यह पुलिस वालों का धंधा बन जाता है। एनकाउंटर का धंधा।

‘एंड काउंटर’ में भी प्रशांत नारायण ने समीर नाम के एक ऐसे पुलिस अफसर की भूमिका निभाई है जो एक प्लॉट के लिए एक ऐसे बिजनेसमैन की हत्या करता है जो जमीन का कारोबार करता है। इस हत्या के बाद कहानी और उलझती जाती है और उसमें एक बाबा (अनुपम श्याम) भी अपने गोरखधंधे के साथ आ धमकता है और फिर कई खूनी खेल शुरू हो जाते हैं। समीर की पत्नी की भी एक अलग कहानी है जो साथ-साथ चलती है। वो लेखिका है और उसका अपने पुराने प्रेमी के साथ भी रिश्ता है।

फिल्म अगर पूरी तरह अपराध कथा होती तो शायद ठीक-ठाक बन जाती, लेकिन निर्देशक ने इसमें कॉमेडी का तड़का भी लगा दिया। ब्रजेश हीरजी को जिस तरह हत्या करते दिखाया गया वो एक कॉमेडी सीन की तरह है और फिल्म के थ्रिलर वाले पहलू को कमजोर कर देता है। वैसे हीरजी ने अपनी कॉमेडी वाली भूमिका ठीक से निभाई है, लेकिन वह फिल्म की कहानी के साथ फिट नहीं होती। बाबा बने अनुपम श्याम के चरित्र में भी गहराई नहीं आ पाई है और उनकी चेली तो मजाकिया किरदार बन के रह गई है। प्रशांत नारायण और मृण्मयी के बीच नाच-गाने के दृश्य भी भरताऊ से लगते हैं।

फिल्म समीक्षा: एंड काउंटर
निर्देशक– आलोक श्रीवास्तव
कलाकार– प्रशांत नारायण, अभिमन्यु सिंह, मृणमयी कोलवलकर, अनुपम श्याम, ब्रजेश हीरजी