मशहूर निर्देशक इम्तियाज अली ने  कहा है कि जिस तरह से पहले बॉलीवुड फिल्मों में शोषण साधारण सी बात थी वैसा अब नहीं हो सकता है क्योंकि समाज अब बदल चुका है। इम्तियाज अली दिल्ली में इंडिया-ग्लोबल समिट में हिस्सा लेने पहुंचे थे। उन्होंने यहां इस विषय पर विस्तारपूर्वक चर्चा करते हुए पुरानी फिल्मों में छेड़खानी के दृश्यों पर भी चर्चा की।  जब इम्तियाज अली से गुजरे 20 सालों में फिल्मों की कहानियों में हुए बदलाव के विभिन्न आयामों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इसे एक उदाहरण के जरिए समझाने का प्रयास किया।

उन्होंने साल 1980 में आई फिल्म ‘दोस्ताना’ का जिक्र किया। फिल्म के एक द़श्य के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि इस सीन में अभिनेत्री जीनत अमान फिल्म के हीरो जो एक पुलिस ऑफिसर हैं से कहती हैं कि ‘मेरे साथ छेड़खानी हो गई है।’ तो जो हीरो हैं वो उसको पकड़ते हैं जिसने छेड़खानी की है लेकिन वो गाना गाने लगते हैं और इस गाने के लिरिक्स हैं- बहुत खूबसूरत जवान एक लड़की…सड़क पर अकेली चली जा रही थी…फकत नाम को उसने पहने थे कपड़े…अजंता की मूर्त नजर आ रही थी…कोई दिलजला उससे टकरा गया…मेरे दोस्तों तुम करो फैसला…खता किसकी है…किसको दें हम सजा…। इम्तियाज अली कहते हैं कि इस फिल्म में पुलिस वाला कहता है कि ‘किसको दें हम सजा’?।

इम्तियाज अली ने आगे कहा कि इस फिल्म में अमिताभ बच्चन हीरो थे। जब मैं यह फिल्म सिनेमाघर में देख रहा था तब कोई भी यह नहीं सोच रहा था कि छेड़खानी करने वाला गलत है। लोगों का सेंटिमेंट यहीं था कि इस लड़की ने छोटे कपडे पहने हैं तो जाहिर है कोई ना कोई छेड़खानी करेगा। तो गलती लड़के की नहीं है। यह 25 साल पहले की बात हो गई है। अब 10 साल पीछे की बात करते हैं।

यह फिल्म थी ‘जब वी मेट’, जो की मेरी फिल्म थी। फिल्म के एक सीन में लड़का फिल्म की अभिनेत्री करीना कपूर को ट्रेन पर चढ़ने में उनकी मदद करता है और उनका हाथ पकड़ता है। जब अभिनेत्री ट्रेन के अंदर आ जाती हैं तो वो कहती हैं कि ‘अब तो मेरा हाथ छोड़ दो…मैंट्रेन में आ चुकी हूं…इतनी भी सुंदर नहीं हूं मैं…। इसलिए जाहिर है कि अब समय बदल चुका है। मैं अमिताभ बच्चन की आलोचना नहीं कर हा हूं। मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि वक्त वो आइडिया उस समय लोगों के सेंटिमेंट से जुड़ा था इसलिए हिट हुआ और लोगों की मानसिकता भी प्रभावित हुई।