सदाबहार अभिनेता दिलीप कुमार (Dilip Kumar) नहीं रहे। 98 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। लंबे वक्त से बीमार चल रहे दिलीप कुमार को पिछले दिनों सांस लेने में तकलीफ के बाद मुंबई के हिंदूजा अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दिलीप कुमार अपने सिनेमाई करियर के अलावा निजी जिंदगी को लेकर भी खूब चर्चा में रहे। खासकर मधुबाला से उनके रिश्ते को लेकर तमाम बातें कही जाती हैं।
‘हुस्न की मल्लिका’ के नाम से मशहूर मधुबाला और दिलीप कुमार की पहली मुलाकात साल 1951 में आई फिल्म ‘तराना’ की शूटिंग के दौरान हुई थी। दिलीप कुमार, पहली नजर में ही मधुबाला की खूबसूरती और मासूमियत पर फिदा हो गए थे। चंद दिनों बाद उन्होंने मधुबाला से अपने प्यार का इजहार किया। साल 1955 में दोनों ने अपने रिश्ते को सार्वजनिक तौर पर भी स्वीकार लिया।
मधुबाला के पिता नहीं चाहते थे दोनों का रिश्ता: हालांकि दोनों का रिश्ता आगे नहीं बढ़ सका। पहले तो मधुबाला के पिता अताउउल्लाह खान इस रिश्ते के खिलाफ थे। मधुबाला की छोटी बहन मधुर भूषण ने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि अब्बा को दोनों का रिश्ता पसंद नहीं था। हालांकि मधुबाला अपने पिता के एतराज को दरकिनार कर दिलीप कुमार से मिलती रहीं। लेकिन इसी दौरान एक ऐसा वाकया हुआ जिससे दोनों के रिश्ते में दरार आ गई।
क्या था वो वाकया? बी.आर. चोपड़ा ‘नया दौर’ नाम की फिल्म बना रहे थे। फिल्म में दिलीप कुमार के साथ मधुबाला लीड रोल में थीं। कुछ सीन मध्य प्रदेश में शूट होने थे। लेकिन ऐन मौके पर मधुबाला के पिता अड़ गए। वे नहीं चाहते थे कि मधुबाला, दिलीप कुमार के साथ बाहर जाएं।
मजबूरन चोपड़ा को मधुबाला को रिप्लेस कर वैजयंती माला को लेना पड़ा। इससे नाराज मधुबाला कोर्ट चली गईं। सुनवाई के दौरान तमाम गवाहों की लिस्ट में दिलीप कुमार का भी नाम था। उन्होंने पूरा वाकया जस का तस रख दिया। दिलीप कुमार की गवाही से मधुबाला इतनी नाराज हुईं कि इसे धोखा करार दे दिया। इस तरह दोनों की राहें जुदा हो गईं।
मौत की खबर सुन भागते हुए पहुंचे थे मुंबई : 23 फरवरी 1969 को जब मधुबाला का निधन हुआ, उस वक्त दिलीप कुमार मद्रास में अपनी फिल्म ‘गोपी’ की शूटिंग कर रहे थे। उन्हें जैसे ही मधुबाला के निधन की खबर मिली भागते हुए मद्रास से बॉम्बे पहुंचे।
वरिष्ठ पत्रकार और लेखक राशिद किदवई अपनी किताब ‘नेता-अभिनेता: बॉलीवुड स्टार पावर इन इंडियन पॉलिटिक्स’ में लिखते हैं ‘जब तक दिलीप कुमार मुंबई पहुंचे तब तक मधुबाला सुपुर्द-ए-ख़ाक हो चुकी थीं। दिलीप कुमार सीधे उनके कब्र पर पहुंचे। फूल चढ़ाया और बुझी आंखों से काफी देर तक कब्र को ताकते रहे।’