दिवंगत अभिनेता दिलीप कुमार का जन्म पाकिस्तान में हुआ था। दिलीप कुमार का परिवार भारत आ गया था और यहां उन्होंने अपने अभिनय के दम पर अलग पहचान बनाई थी। दिलीप कुमार को पल-पल इसको लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। साल 1998-99 में पाकिस्तान की सरकार ने दिलीप कुमार को सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘निशान ए इम्तियाज़’ देने की मंशा जताई तो उनका काफी विरोध होने लगा था।
बाल ठाकरे ने दिलीप कुमार पर काफी सवाल भी उठाए थे। दिलीप कुमार ने अपनी आत्मकथा में भी इसका जिक्र किया है। दिलीप कुमार ने बताया था कि वह इस सम्मान को पाने से पहले कुछ चीजें साफ करना चाहते थे। यही वजह थी कि उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से भी इस बारे में पूछा था और अटल बिहार वाजपेयी ने उन्हें ये सम्मान प्राप्त करने की सलाह ही दी थी। लेकिन एक समय ऐसा भी आ गया था जब दिलीप कुमार पर पाकिस्तान का जासूस तक होने के आरोप लगे थे।
पुलिस को था दिलीप कुमार पर शक: दिलीप कुमार पर ये आरोप 60 के दशक में लगे थे और उनके घर पर पुलिस तक पहुंच गई थी। ‘आजतक’ में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिलीप कुमार की कंपनी सिटीजन फिल्म्स के प्रोडक्शन विभाग के एक कर्मचारी को पुलिस ने जासूस के आरोप में गिरफ्तार किया था। आरोपी की छानबीन में पुलिस को एक डायरी हाथ लगी थी। इस डायरी में कई लोगों के नाम शामिल थे और इसमें दिलीप कुमार का भी नाम था। ऐसे में पुलिस को दिलीप कुमार पर भी शक होने लगा था।
पुलिस को शक था कि दिलीप कुमार गोपनीय जानकारी पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) तक पहुंचा रहे थे। कोलकाता पुलिस ने इसी क्रम में दिलीप कुमार के घर की तलाशी ली, लेकिन पुलिस के हाथ कोई भी सुराग नहीं लगा। हालांकि बाद में कई तरह के सवाल उठाए गए। वरिष्ठ पत्रकार वीर सांघवी ने अपने एक लेख में लिखा था, ‘ऐसा सिर्फ दिलीप कुमार के साथ हुआ। उनके ऊपर मुस्लिम होने के कारण जासूसी के आरोप लगे। अगर देवानंद का नाम डायरी में होता तो शायद ही उनके खिलाफ भी ऐसी कार्रवाई होती।’