कोरोना महामारी ने भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था की वास्तविकता को उजागर कर दिया है। देश के सबसे लोकप्रिय नेता माने जाने वाले पीएम नरेंद्र मोदी को भी लोगों के गुस्से और आलोचना का शिकार होना पड़ा है। हाल ही में मॉर्निंग कंसल्ट नामक अमेरिकी संस्था ने अपने एक सर्वे में बताया कि मोदी की लोकप्रियता में सितंबर 2019 से अब तक 22 प्रतिशत अंक की गिरावट आई है। ऑक्सीजन, दवाओं और अस्पताल की कमी से हुई मौतों को रोकने में सरकार नाकाम रही है। ऐसे में जब हाल ही में नरेंद्र मोदी हेल्थ वर्कर्स से वर्चुअल मीटिंग में बात करते हुए भावुक हो गए तो उनकी काफी आलोचना हुई। वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी ने भी इस मसले पर तंज कसा है।

बाजपेयी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा कि भारत में स्क्रीन पर ही सब कुछ होता है लेकिन जो मौतें हो रही हैं वो वास्तविक हैं। उन्होंने लिखा, ‘स्क्रीन पर भारत- इलाज वैक्सीन अस्पताल वर्चुअल.. पीएम सीएम डीएम वर्चुअल..राहत बात संवाद वर्चुएल..आंसू वर्चुअल.. मौत..?’

पत्रकार के इस ट्वीट पर ट्विटर यूजर्स भी जमकर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। अनवर नाम के एक यूजर ने लिखा, ‘जिस मोदी के पास साल 2014 में देश की हर समस्या का हल था वो आज देश के लिए सबसे बड़ी समस्या बन चुका है।’

 

ओमकार नाम से एक ट्विटर यूजर ने बाजपेयी को जवाब दिया, ‘जिंदा लाशों से गंगा में बहती लाशों का जमीर जिंदा.. मर कर भी सिस्टम से सवाल पूछ रही हैं कि हमारी मौत का जिम्मेदार कौन? मोदीजी योगी जी या सुशासन बाबू।’ किसान एकता जिंदाबाद नाम से एक यूजर ने लिखा, ‘सारी जनता त्रस्त है, साहब मस्त। ऐसे में भी एक अच्छा किरदार कर लेता है..घड़ियाली आंसू भी दिखा दिए। अब तो जनता के दिलों में जगह बना ही लेंगे।’

 

श्याम बाबू सिंह नाम से एक यूजर ने बाजपेयी को जवाब दिया, ‘ये मौत ही हैं जो सब सब वर्चुअल पर भारी पड़ेंगी। ये तख्त गिराया जाएगा, ताज उछाले जाएंगे।’

 

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश और बिहार में संदिग्ध कोविड संक्रमितों की लाशों को गंगा के बहाने और किनारे पर दफन किए जाने की खबरें पिछले कई दिनों से आ रही हैं। उत्तर प्रदेश के उन्नाव में सैकड़ों की संख्या में लाशों को गंगा किनारे दफन किया गया है। वहीं प्रयागराज में भी गंगा किनारे लाशों को रेत में दफनाने का मामला सामने आया है।