माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर ने शनिवार को उप-राष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत समेत संगठन से जुड़े कई लोगों के ट्विटर से ब्लू टिक हटा दिया जिसे लेकर काफी विवाद हुआ। बाद में विवाद बढ़ा और केंद्र सरकार ने सख्ती दिखाई तो ट्विटर ने ब्लू टिक बहाल कर दिया। इस मामले को लेकर ट्विटर पर ही खूब चर्चा देखने को मिली। कांग्रेस के कुछ नेताओं ने इसकी आलोचना करते हुए कहा कि देश टीके की कमी से जूझ रहा है लेकिन केंद की नरेंद्र मोदी सरकार की प्राथमिकता कुछ और ही है। कांग्रेस नेता रागिनी नायक ने भी इस मुद्दे को लेकर भाजपा पर तंज कसा है।
रागिनी नायक ने ट्विटर पर एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा, ‘जनता टीके की मांग कर रही है और मोदी सरकार ब्लू टिक। बहुत नाइंसाफी है।’ रागिनी नायक के इस ट्वीट पर यूजर्स भी खूब प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
राहुल दीक्षित नाम के एक यूजर ने नाइजीरिया में ट्विटर बैन का हवाला देते हुए लिखा, ‘बहन जी, सरकार अपने लिए नहीं, देश के दूसरे सर्वोच्च पद पर बैठे माननीय उप राष्ट्रपति जी के लिए ब्लू टिक की लड़ाई लड़ रही है। ये मामला देश की गरिमा का है इस पर कोई राजनीति न करें। हमें नाइजीरिया से कुछ सीखना चाहिए।’
जनता टीके मांग रही है और मोदी सरकार #blueTick
बहुत नाइंसाफ़ी है
— Dr. Ragini Nayak (@NayakRagini) June 5, 2021
आपको बता दें कि नाइजीरिया में ट्विटर को बैन कर दिया गया है। हाल ही में नाइजीरिया के राष्ट्रपति ने ट्विटर के नियमों का उल्लंघन करते हुए एक ट्वीट किया था जिसके बाद उनका ट्वीट ट्विटर से हटा दिया गया था। इसके ठीक दो दिनों बाद नाइजीरिया ने देश में ट्विटर को बैन कर दिया है।
वहीं प्रीति सिंह नाम के एक यूजर ने कांग्रेस नेता को जवाब दिया, ‘सरकार आरएसएस के लोगों के लिए ब्लू टिक रिस्टोर करने के लिए तुरंत हरकत में आ गई लेकिन हमें ऑक्सीजन और वैक्सीन नहीं दे सकी। भारतीय लोगों का जीवन मायने नहीं रखता, आरएसएस के लोगों का रखता है। कहां है राष्ट्रीयता?’
मोसर्रफ हुसैन नाम से एक यूजर ने रागिनी नायक को जवाब दिया, ‘भाजपा को जिस चिड़िया की चहचहाहट 2014 तक अच्छी लगती थी, 2021 के आते आते ऐसा क्या हो गया कि अब वो चिक चिक लगने लगी। दरअसल फर्जी टूलकिट मामले में सरकार की विश्वसनीय चूर चूर हो चुकी है।’
अरुण कुमार नाम से एक यूजर ने रागिनी नायक पर निशाना साधते हुए कहा, ‘नाइंसाफी तो कांग्रेस ने देश की जनता के साथ की है। सौ साल पुराने अंग्रेजों द्वारा स्थापित कांग्रेस ढूंढने से भी नजर नहीं आती।’