70 के दशक की शुरुआत में दीप्ति नवल न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के हंटर कॉलेज, मिडटाउन मैनहट्टन की स्टूडेंट थीं। तब उन्होंने रेडियो पर ‘रंग महल’ नामक एक संगीत कार्यक्रम होस्ट किया था। इसमें वहां के एनआरआई लोगों के लिए पुराने, मधुर हिंदी गाने बजाए गए, जो उन्हें खुद बहुत पसंद थे। एक्ट्रेस ने कहा, “उस समय, न्यूयॉर्क में इंडियन कम्यूनिटी बहुत छोटी थी, तब आज की तरह सड़कों पर हर दूसरा व्यक्ति भारतीय नहीं होता था और ‘रंग महल’ उनके लिए था।”
एक्ट्रेस ने बताया कि इसके बाद वो चाहती थीं कि इंडिया के सितारे न्यूयॉर्क में उनके शो में शामिल हो। दीप्ति ने बताया कि भारत के पहले सितारे जिन्हें वो मिली थीं वो थे सुनील दत्त। “मैं बहुत घबराई हुई थी और इससे पहले कि मैं उनसे सवाल करती उन्होंने मुझसे माइक लिया और मुझसे मेरी लाइफ के बारे में बात करने लगे और फिर उन्होंने अपने बारे में बताया।”
दीप्ति ने बताया कि जब तक राज कपूर न्यूयॉर्क आए तब तक वो तीन-चार इंटरव्यू कर चुकी थीं। वो शोमैन की बड़ी फैन थीं। एक्ट्रेस ने बताया कि जब उन्होंने राज कपूर की ‘जागते रहो’ फिल्म देखी थी तब वो काफी छोटी थीं। इसके अलावा दीप्ति को ‘जिस देश में गंगा बहती है’ समेत कई फिल्में बहुत पसंद थी।
एक्ट्रेस ने राज कपूर को मैन ऑफ म्यूजिक के तौर पर याद किया। एक्ट्रेस ने उनके गानों के बारे में बात करते हुए कहा, “मेरे दो सबसे फेवरेट थे ‘ओ बसंती पवन पागल’ और ‘ओ मेरे सनम’ गाने। मैं उनकी फिल्में देखने के बाद खुद को बड़ा मानने लगी थी। राजेंद्र कुमार के वयजंतिमाला के लिए प्यार, उनका त्याग, इन सब ने मुझ पर एक अलग छाप छोड़ी…”
दीप्ति ने बताया कि न्यूयॉर्क में जब उन्हें राज कपूर से मिलना था वो बेहद खुश थीं। अपने कुछ दोस्तों के साथ वो राज कपूर का इंटरव्यू लेने पहुंची थीं। उस मुलाकात को याद करते हुए दीप्ति ने कहा, “वह इतने प्यारे थे, उनके साथ बातचीत करना इतना आसान था, वह अपने जीवन और काम के बारे में बात करने के लिए इतने ओपन थे, किस चीज़ ने उन्हें प्रेरित किया और उसके लिए क्या मायने रखता था….” दीप्ति ने कहा कि काश उनके पास आज राज कपूर के इंटरव्यू की कॉपी होती। वह चकित होकर कहती है कि काश उसके पास आज उन साक्षात्कारों की प्रतियां होतीं। “लेकिन आज ‘रंग महल’ में कुछ भी नहीं बचा है,” वह आह भरती है, फिर मुस्कुराते हुए कहती है, “रज्जी के साथ मेरी पहली मुलाकात मेरे जीवन में हमेशा एक सुखद घटना रहेगी।”
ऐसी थी आखिरी मुलाकात
राज कपूर के साथ अपनी आखिरी मुलाकात को याद करते हुए दीप्ति ने कहा, “जहां कैब मिली, मैंने कैब ली, जहां ऑटो मिला, मैंने ऑटो लिया और बस अंदर (शमशान घाट) घुस गई। उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया जा रहा था और चिता पहले से ही जल रही थी। मैं वहां खड़ी थी। चुप। हैरान। अचानक मुझे महसूस हुआ कि मैं वहां एकमात्र महिला थी जो वहां मौजूद थी। मुझे अहसास हुआ कि अंतिम संस्कार में परिवार द्वारा महिलाओं को एक सीमा से आगे जाने की अनुमति नहीं थी। लेकिन अनजाने में मैंने राज जी को अंतिम अलविदा कहने के लिए इस सीमा को भी तोड़ दिया था।”