CineGram: देवानंद एक ऐसे अभिनेता रहे जिन्होंने 50 से 60 के दशक में इंडस्ट्री पर राज किया। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1946 में फिल्म ‘हम एक हैं’ से की थी और 2011 तक उन्होंने काम किया। उनकी आखिरी फिल्म ‘चार्जशीट’ थी जो 2011 में आई थी और इसी साल 3 दिसंबर को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। देवानंद की फैन फॉलोइंग के किस्से हर कोई जानता है, लेकिन उनकी लव लाइफ के बारे में सबको नहीं पता। वो जीनत अमान से प्यार करने लगे थे, मगर राज कपूर के कारण अपने प्यार का इजहार नहीं कर पाए थे। हर रोज हम आपको दिग्गज अभिनेताओं के बारे में अनसुने किस्से बताते हैं और आज सिनेग्राम में हम आपको जीनत अमान के लिए देवानंद के प्यार के बारे में बताने जा रहे हैं।

जीनत अमान के करियर में साल 1971 में आई फिल्म ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ बड़ा टर्निंग प्वाइंट रही, इस फिल्म में देवानंद ने ही उन्हें कास्ट किया था। जीनत अमान ने बॉलीवुड के कई सितारों को अपना दीवाना बना लिया था, जिसमें देवानंद भी शामिल थे। अभिनेता ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में अपनी जीनत अमान से प्यार के बारे में बताया है। देवानंद ने बताया है कि जीनत अमान से अपनी फीलिंग कहने के लिए उन्होंने रोमांटिक डेट प्लान की थी, लेकिन ये काम नहीं आई और उनका दिल टूट गया। इसका कारण राज कपूर थे, जिन्होंने जीनत अमान को लेकर ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ फिल्म बनाई थी, उन्होंने सबके सामने जीनत अमान को चूमा था और ये देखकर देवानंद सन्न रह गए थे। हालांकि जीनत अमान ने इस किस की बात को झूठ बताया था। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

2007 में प्रकाशित अपनी आत्मकथा ‘रोमांसिंग विद लाइफ’ में देव आनंद ने लिखा, “अचानक, एक दिन मुझे लगा कि मैं जीनत से बेइंतहा प्यार करने लगा हूं… और मैं उससे सच-मुच एक बात कहना चाहता था! रोमांस के लिए बनी एक बहुत ही खास, एक खास जगह पर मैं दिल की बात कहना चाहता था। मैंने शहर के सबसे ऊपर, ताज होटल में Rendezvous को चुना, जहां हमने पहले एक बार साथ में खाना खाया था।”

देवानंद ने आगे लिखा कि उनका ये प्यार पूरा ना हो सका। “मेट्रो सिनेमा में ‘इश्क इश्क इश्क’ के प्रीमियर के बाद, राज कपूर ने वहां आए दर्शकों के सामने जीनत को चूमा, फिल्म में उनके शानदार अभिनय के लिए उन्हें बधाई दी। इससे उनकी शाम और भी ज्यादा शानदार हो गई होगी। फिर भी, मैं उनसे ईर्ष्या करता था कि उन्होंने मेरी एकमात्र चाहत, मेरी खोज, मेरी मुख्य नायिका को चूमने की इच्छा की।”

उन्होंने अपनी किताब में आगे लिखा, “ये बात मुझे अचानक कुछ ज़्यादा ही जानी-पहचानी लगी। और जिस तरह से उसने उसके गले लगने का जवाब दिया, वह सिर्फ विनम्र और शिष्टता से कहीं ज्यादा लग रहा था… उसके चेहरे पर और भी शर्मिंदगी साफ झलक रही थी, और जीनत अब मेरे लिए वो जीनत नहीं रही। मेरा दिल टूट गया… मेरे दिमाग में उस मुलाकात का कोई मतलब नहीं रह गया था, मैं चुपके से वहां से निकल गया।”

देवानंद की इस बात का जीनत अमान ने दिया था जवाब

जीनत अमान को देवानंद की किताब में किए इस दावे से काफी नाराजगी थी। इसके बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा था, “ईमानदारी से कहूं तो मैं नाराज थी। मुझे अपमानित, आहत और निराश महसूस हुआ कि देव साहब, मेरे बहुत बड़े गुरु, एक ऐसे व्यक्ति जिन्हें मैं प्यार करती थी और जिनकी मैं बहुत प्रशंसा करती थी, न केवल सच्चाई से रहित ऐसी कहानी पर विश्वास करेंगे, बल्कि फिर इसे दुनिया के सामने प्रकाशित करेंगे। कई हफ्तों तक मेरे फोन लगातार बजते रहे क्योंकि मेरे दोस्त पूछते रहे कि ‘वास्तव में क्या हुआ’ और किताब के कुछ अंश साझा करते रहे। हालांकि मैंने इसे कभी नहीं पढ़ा, और अपने गुस्से में मैंने जो कॉपी भेजी थी उसे स्टोर में रख दिया!”

साल 2018 में जीनत अमान नेम एक इंटरव्यू में जीनत अमान ने देवानंद के प्यार के बारे में खुलकर बात की थी। उन्होंने कहा था, “मैं देव साहब की बहुत रिस्पेक्ट करती हूं, उनकी वजह से मैं फिल्मों में आई। लेकिन मैं यहां कहना चाहूंगी कि ये उनका परस्पेक्टिव था जो उस शाम को हुआ, उन्होंने अंदाजा लगाया। लेकिन वह मेरी तरफ से बिलकुल अलग था।”

जीनत अमान को नहीं था इस बात का अंदाजा

जीनत ने आगे कहा था, “मैंने देव आनंद के साथ बहुत सारी फिल्मों में काम किया। मैंने राज जी के साथ भी काम किया। उस दिन दोनों एक ही जगह पर एक ही समय में थे। तब मैं राज जी के पास गई और उन्हें मैंने ग्रीट किया। क्यों न करूं वो मेरे को-स्टार थे। हम साथ में काम कर रहे थे। मुझे नहीं पता उस दिन ऐसा क्या हुआ जो कि देव साहब फिर दूर चले गए। वह बात मेरे लिए भी बड़ी अजीब थी। मुझे अहसास हुआ था। मुझे इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि वह उस शाम मुझे शादी के लिए प्रपोज करने वाले थे।”

बता दें कि देवानंद एक दिग्गज अभिनेता के साथ-साथ एक बेहतरीन लेखक, निर्माता और निर्देशक भी थे। शाल 2001 में उन्हें में पद्म भूषण और 2002 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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