70 से 80 के दशक के जाने माने अभिनेता विनोद खन्ना अपने जमाने के सबसे हैंडसम हीरो कहलाए जाते थे। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 1968 में सुनील दत्त की फिल्म ‘मन का मीत’ से की थी। इस फिल्म में वो सपोर्टिंग रोल में थे, इसके बाद साल 1970 में उन्होंने फिल्म ‘आन मिलो सजना’, ‘पूरब और पश्चिम’ में काम किया और फिर 1971 में उन्होंने बतौर लीड एक्टर फिल्म ‘हम तुम और वो’ में काम किया। विनोद खन्ना से जुड़े कई किस्से हैं जिन्हें आज भी याद किया जाता है, जैसे फिल्म के सेट पर उनका बर्ताव या करियर की बुलंदियों पर पहुंचकर एक्टिंग से दूरी बनाने का उनका फैसला। आज हम इस खबर में आपको उनके बारे में कई जरूरी बातें बताने जा रहे हैं।

माधुरी दीक्षित के साथ इंटीमेट सीन शूट करते वक्त हो गए थे बेकाबू

विनोद खन्ना ने माधुरी दीक्षित के साथ फिल्म ‘दयावान’ में काम किया था। इस फिल्म में दोनों का किसिंग सीन था, जिसे शूट करते वक्त विनोद खन्ना बहक गए थे। उन्होंने कुछ ऐसा कर दिया था कि उस रात माधुरी दीक्षित पूरी रात रोई थीं और उन्हें ये फिल्म करने का पछतावा हुआ था। दरअसल इस फिल्म का गाना ‘आज फिर तुमपे प्यार आया है’ गाना बड़ा हिट हुआ था, मगर इसी गाने की शूटिंग के दौरान विनोद खन्ना ने माधुरी दीक्षित को किस किया था।

किसिंग सीन चल रहा था और डायरेक्टर ने कट कहा, मगर विनोद खन्ना इस शूट में इतना खो गए कि वो रुके नहीं और माधुरी को किस करते रहे। बताया जाता है कि उन्होंने माधुरी के होंठ पर काट लिया था। जिसके बाद माधुरी ने कसम खा ली थी कि वो कभी किसिंग सीन शूट नहीं करेंगी।

डिंपल कपाड़िया के साथ भी किया था ऐसा

साल 1987 में आई फिल्म ‘प्रेम धरम’ में विनोद खन्ना और डिंपल कपाड़िया थे। इस फिल्म के डायरेक्टर महेश भट्ट थे और इसमें इंटीमेट सीन था, जिसे फिल्माते वक्त विनोद खन्ना खुद पर काबू नहीं रख पाए और डायरेक्टर ने कट कहने पर भी नहीं रुके। वो डिंपल कपाड़िया को किस करते रहे और इससे वो काफी घबरा गई थीं। इसके बाद उन्होंने खुद को मेकअप रूम में बंद कर लिया था। इसके बाद विनोद खन्ना को उनसे माफी मांगनी पड़ी थी। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

करियर की बुलंदियों पर पहुंचकर छोड़ी एक्टिंग

विनोद खन्ना ओशो को बहुत मानते थे और इसी कारण उन्होंने सफलता की बुलंदियों पर पहुंचकर 1982 में अपना करियर छोड़ दिया था। वो सब छोड़ छाड़कर ओशो के आश्रम चले गए और उन्होंने वहां माली का काम किया। परिवार को छोड़कर जाने पर उन्होंने था कि वो अपने घरवालों के संपर्क में थे और इससे उनकी पर्सनल लाइफ पर कोई असर नहीं पड़ा था, हालांकि इससे उनका परिवार बिखर गया था। विनोद खन्ना ओशो के अमेरिका वाले आश्रम में रहने चले गए थे, जिसके कारण उनकी पत्नी गीतांजलि से उनका तलाक हो गया था।

बता दें कि विनोद खन्ना ने 5 सालों तक खुद को चकाचौंध की दुनिया से दूर रखा और फिर जब वो वापस आए तो उन्होंने ‘इंसाफ’ फिल्म साइन की। अनंत महादेवन ने कुछ महीनों पहले विनोद खन्ना के क्रेज का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि विनोद खन्ना एक फिल्म के लिए 35 लाख रुपये फीस लेते थे चाहे शूटिंग एक दिन हो या 20 दिन की, उनकी फीस तय थी।

सिद्धार्थ कनन के साथ एक इंटरव्यू में अनंत महादेवन ने विनोद खन्ना को लेकर कहा था, “मैं विनोद खन्ना जैसी महान पर्सनैलिटी के साथ काम करना चाहता था। जब आप वास्तव में कुछ चाहते हैं, तो वह सच हो जाता है। जब मैंने नक्सलियों पर एक फिल्म रेड अलर्ट बनाई, तो मेरे पास शानदार कलाकारों की टीम थी, जिसमें आशीष विद्यार्थी, समीरा रेड्डी और सुनील शेट्टी जैसे अन्य लोग शामिल थे। विनोद खन्ना ने उसमें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और मुझे इस आदमी को देखने, वहां खड़े होने और काम करने का शानदार अवसर मिला।”

विनोद खन्ना की फिल्म के लिए लगी थी टिकट की 1 किमी लंबी लाइन

अनंत महादेवन ने बताया था, “मुझे याद है जब इंसाफ रिलीज हुई थी, तो यह ओशो आश्रम से लौटने के बाद उनकी कमबैक फिल्म थी। उनका क्रेज इतना था कि लोग एडवांस टिकट खरीदने के लिए अप्सरा थिएटर से मराठा मंदिर तक कतार में खड़े थे और ये एक किलोमीटर से भी ज्यादा लंबी लाइन थी। हालांकि, फिल्म ने अपनी शुरुआती क्रेज के मुकाबले इतना अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। लेकिन, विनोद खन्ना एक ऐसे व्यक्ति थे जो सदाबहार थे। चाहे वह कला हो या राजनीति।” पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

फिल्मों ही नहीं राजनीति में भी हीरो थे विनोद खन्ना

विनोद खन्ना ने 1997 में राजनीति में कदम रखा था और उनका ये सफर 2017 तक चला। वो चार बार सांसद बने, पहले साल 1997 में वो बीजेपी में शामिल हुए और 1998 में उन्होंने पंजाब के गुरदासपुर से सांसद चुने गए। 2002 में वो केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री बने। इसके 6 महीने बाद उन्हें विदेश मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया था। 2014 में फिर लोकसभा चुनाव के दौरान वो गुरदासपुर निर्वाचन क्षेत्र से 16वीं बार चुने गए। मगर 2009 में वो आम चुनाव हार गए थे। विनोद खन्ना का निधन 27 अप्रैल, 2017 को हुआ था।