कान फिल्मोत्सव के इंटरनेशनल विलेज में भारतीय उद्योग व वाणिज्य परिसंघ (फिक्की) की ओर से संचालित इंडियन पेवेलियन में बड़ी संख्या में भारतीय फिल्मकारों की भागीदारी अंत तक जारी रही। दिनभर चलनेवाले विचार विमर्श व नेटवर्किंग पाटिर्यों में कई समझौते भी हुए। गोवा, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, ओड़ीशा और केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों ने दुनिया भर के फिल्मकारों को अपने यहां आने का न्योता भी दिया।
सूचना व प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने भारत के 47 वें अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह गोवा का पोस्टर व विवरण जारी किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने देश में फिल्मों की शूटिंग संबंधी समस्याओं के लिए मुंबई में फिल्म सुविधाकरण कार्यालय खोला है जहां एक ही जगह सारा काम हो जाएगा। इस सिंगल विंडो क्लीयरेंस नीति को लागू करने के लिए केंद्र राज्य सरकारों को भी प्रोत्साहित कर रहा है। इसके लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में फिल्म फ्रेंडली राज्य का एक नया पुरस्कार शुरू किया गया है जो इस साल गुजरात और उत्तर प्रदेश को दिया गया।
उन्होंने कहा कि सरकार जल्दी ही निजी कंपनियों की साझेदारी में एक उच्च स्तरीय एनिमेशन सेंटर खोलेगी। फिल्मों की विरासत को संरक्षित करने के लिए फिल्म हेरिटेज मिशन पहले से ही काम कर रहा है। उन्होंने यहां ब्रिटेन के संस्कृति, संचार और रचनात्मक उद्योग राज्यमंत्री ईजी वायजे, ब्रिटिश फिल्म इंस्टीट्यूट के सीईओ अमांडा नोविल और अध्यक्ष जोश बर्गर से मुलाकात की और भारत आने का निमंत्रण दिया। गोवा फिल्मोंत्सव में ब्रिटेन अतिथि देश हो सकता है। ब्रिटिश प्रतिनिधिमंडल ने आश्वासन दिया है कि वह भारतीय फिल्मों के अभिलेखागार बनाने में साझेदारी करेगा। सूचना व प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन राठौड़ ने कान फिल्मोत्सव के फिल्म बाजार के सीईओ जेरोम पुलार्ड, टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के निदेशक कैमरन बायले सहित आस्ट्रेलिया, कनाडा, स्वीडन, डेनमार्क, इटली, पोलैंड, दक्षिण अफ्रीका, आस्ट्रिया, ग्रीस, संयुक्त अरब अमीरात, इस्टोनिया आदि कई देशों के फिल्म कमीशन के प्रतिनिधियों से गोलमेज वार्ताएं की और भारत आने का आमंत्रण दिया।
भारत में सिनेमा के क्षेत्र में पूंजी निवेश और साझे उपक्रमों को गति देने के लिए यहां लगातार बैठकें चलती रहीं। कान में फिक्की की प्रभारी लीना जैसानी कहती हैं कि हम अपनी ओर से हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि यहां भारतीय फिल्मकारों को घर जैसा माहौल मिले। इस साल भारत से सबसे अधिक लोग यहां आए। नेटवर्किंग पार्टियों में पहली बार इतनी चहल पहल देखी गई। ईफी गोवा की स्थायी समिति के सदस्य सुधीर मिश्रा और भरतबाला, निदेशक सेंथिल राजन और मंत्रालय में निदेशक फिल्म अंशुल सिंहा को उम्मीद है कि आनेवाले दिनों में भारतीय फिल्में यहां अच्छा कारोबार कर सकती हैं।
एंटरटेनमेंट सोसायटी आफ गोवा के सीईओ अमेय अभ्यंकर गोवा फिल्मोत्सव में काफी बदलाव करना चाहते हैं। उन्होंने अपनी वार्ता में गोवा में फिल्म निर्माण के लिए दी जानेवाली सरकारी सुविधाओं का एलान किया। उत्तर प्रदेश फिल्म विकास परिषद के विशाल कपूर और गौरव द्विवेदी ने कैश बैक पालिसी की जानकारी दी। ओड़ीशा के पर्यटन व संस्कृति मंत्री अशोक चंद्र पांडा ने कहा कि उनके राज्य में फिल्में बनाना काफी किफायती है। इसी तरह महाराष्ट्र के प्रधान सचिव, पर्यटन व संस्कृति वालसा नायर सिंह ने भी अपने राज्य का पक्ष रखा।
मराठी सिनेमा के दिग्गज फिल्मकार जब्बार पटेल कहते हैं कि सरकारें चाहें तो बहुत कुछ कर सकती हैं बस नीयत सही होनी चाहिए। मराठी फिल्मकारों का एक पूरा पैनल कान आया हुआ है। मुंबई की फिल्म सिटी के संयुक्त प्रबंध निदेशक संजय पाटील कहते हैं कि पिछले कुछ सालों से मराठी सिनेमा ने दुनियाभर में अपनी जगह बनाई है। यहां के दर्जनों युवा फिल्मकारों की फिल्में अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सवों के साथ बाक्स आफिस पर भी सफल हो रही हैं।
पेरिस के इंडियन फिल्म फेस्टिवल की निदेशक गाब्रिएला और रमेश टेकवानी वर्षों से कान में भारत की शार्ट फिल्मों को प्रोत्साहित करते रहे हैं। रमेश टेकवानी कहते हैं कि शार्ट फिल्में युवा फिल्मकारों को बड़ी फिल्मों का रास्ता दिखाती हैं। गया की दुर्वा सहाय पिछले पांच सालों से कान के शार्ट फिल्म कार्नर में अपनी फिल्में दिखाती आ रही हैं। इस बार वे अपनी नई फिल्म ‘द वेब’ के साथ हाजिर हैं। वे कहती हैं – पहले तो हमारे लिए यहां पहुंचना ही काफी मुश्किल था। एक बार यहां आने के बाद सबसे जो प्रोत्साहन मिलता है उससे हम अगली फिल्म बना लेते हैं।
दुर्वा सहाय जैसे सैकड़ों भारतीय दुनियाभर से इसी माहौल और प्रोत्साहन के लिए कान आते हैं। मुंबई के रोहित गुप्ता शार्ट फिल्मों से होते हुए 25 करोड़ की फीचर फिल्म ‘मंगल यान’ तक पहुंच गए हैं। उन्हें नीदरलैंड की एक कंपनी का साथ मिला है। वे कहते हैं- जितने पैसे में भारत ने मंगल पर यान भेजा उसका तीन गुना पैसा हॉलीवुड इस पर फिल्म बनाने में खर्च कर देता है। मेरी फिल्म भी कम बजट में कमाल कर सकती है।
कोलकाता के जसप्रीत कौर और अमित राय अपनी प्रोडक्शन कंपनी के लिए साझीदार तलाश रहे हैं। वे भी शार्ट फिल्म के बहाने ही यहां आए हैं। रायपुर के उज्ज्वल दीपक बड़े उत्साहित और गर्व से भरे हुए हैं। वे कहते हैं कि भारत में एक नवजागरण शुरू हुआ है। हम आगे बहुत अच्छा करेंगे। बस देखते रहिए। मुंबई के प्रभाकर शुक्ला और मेहुल वर्मा को जल्दी ही कुछ अच्छा होने की उम्मीद यहां खींच लाई है। सिनेमा के बड़े खिलाड़ियों के समानांतर सिनेमा के ये भारतीय दीवाने सपने देखने और सपने गढ़ने में माहिर हैं।