मशहूर निर्देशक राजकुमार हिरानी ने एक बार कहा था – ‘किसी भी निर्देशक के लिए पहली फ़िल्म इसलिए खास होती है क्योंकि वो सालों से उसके अंतर्मन में चल रही होती है। जो भी इंसान निर्देशक बनना चाहता है, उसकी यही दिली तमन्ना होती है कि एक फ़िल्म बनाने दो, उसके बाद भगवान मार भी दो, चलेगा। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ था। मैं अपनी फ़िल्म के सहारे एक कहानी कहना चाहता था और अपने परिवार वालों को दिखाना चाहता था कि देखो ये मैंने बनाई है।’

मुन्नाभाई एमबीबीएस फ़िल्म के साथ ही राजकुमार हिरानी ने बॉलीवुड में अपना डेब्यू किया और पहली ही फ़िल्म से अपने आपको स्थापित कर लिया। ये बमन ईरानी की भी पहली फ़िल्म थी और इस फ़िल्म के रिलीज़ के पहले ही दिन वे रो दिए थे। राजकुमार ने कहा कि मुन्नाभाई एमबीबीएस फ़िल्म बनकर तैयार थी। 19 दिसंबर को फ़िल्म रिलीज़ होनी थी, उससे पहले मै अपने परिवार को फ़िल्म दिखा चुका था और सबने फ़िल्म को सराहा भी था। रिलीज़ की सुबह मैं जब उठा तो मुझे मेरे अस्सिटेंट डायरेक्टर ने कहा कि चलो थियेटर चलते हैं. लोगों की प्रतिक्रिया देखने में मज़ा आएगा। मुझे लगा कि ये ठीक कह रहा है। मेरे दिमाग में ये बात आई ही नहीं कि मुझे थियेटर में जाकर लोगों की प्रतिक्रिया देखनी चाहिए। दरअसल मैं अपना काम कर चुका था और वो हमारे लिए खास मायने नहीं रखता था।
खैर, हम कई थियेटर्स में जाते रहे। हमने देखा कि लोग कम हैं लेकिन उन लोगों की प्रतिक्रिया जबरदस्त है खासकर कैरम सीन को लेकर। उस सीन पर कहीं लोग तालियां बजा रहे थे तो कहीं ठहाका मार कर हंस रहे थे। ये बमन की पहली फ़िल्म थी और हमने उसे भी बुला लिया। बमन आया और हम थियेटर के बाहर खड़े थे। जैसे ही कैरम वाला सीन आया और स्लो मोशन में पप्पा की गोटी गई और उन्होंने जूस पीया तो पूरा थियेटर तालियों से गूंजने लगा। हम थियेटर में लोगों को देख रहे थे कि तभी मुझे पीछे से किसी के सुबकने की आवाज़ आने लगी। मैंने देखा कि बोमन पीछे खड़ा खड़ा रो रहा है। वो थियेटर में लोगों की प्रतिक्रिया देखकर अपने इमोंशस रोक नहीं पाया था।