मशहूर लिरिसिस्ट और सॉन्ग राइटर जावेद अख्तर अपने अपने गीतों से ज्यादा अपने बयानों को लेकर चर्चा में चलते रहते हैं। वह जावेद अख्तर के गानों को काफी पसंद किया जाता है। उनकी लेखनी का जादू युवा पीढ़ी पर भी देखने को मिलता है।
अब हाल ही में गीतकार ने पुराने गानों का रीमिक्स बनाए जाने पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। गायक ने रिमिक्स गानों की तुलना ताजमहल से की है। गीतकार का कहना है कि पुराने क्लासिक का रीमिक्स सिर्फ उनको दोबारा याद करने के लिए होना चाहिए । न कि व्यावसायिक कारणों से क्योंकि यह आगे चलकर काफी चिंताजनक बन जाता है। आज भी एक वर्ग है जो क्लासिकल म्यूजिक को बहुत पसंद करता है। ऐसे में पुराने गानों के साथ छेड़छाड़ करना, उन में रैप मिक्स करना ठीक नहीं।
जावेद अख्तर ने क्या कहा
दरअसल जावेद अख्तर से एक बातचीत के दौरान पूछा गया कि वह बॉलीवुड में रीमिक्स को कैसे देखते हैं, जिनकी पिछले कुछ वर्षों में कई लोगों ने आलोचना की है। इस पर गीतकार ने जवाब देते हुए कहा कि “अतीत को नजरअंदाज करना ठीक है, लेकिन इसका बुरा असर पड़ता है, जब आप इसके साथ छेड़छाड़ करते हैं। पुराने संगीत को याद करना, पुराने क्लासिक्स को नया ट्रीटमेंट मिलना बिल्कुल गलत नहीं है , लेकिन पुराने म्यूजिक को व्यावसायिक नजरिए से देखना गलत है। कम से कम इसकी गरिमा तो बनाये रखें। जैसे आप एक सुंदर बोल और अच्छी लिरिक्स वाला गाना लें और उसमें बेतुके से अंतरे जोड़ दें, तो यह बहुत ही अजीब है। यह बिल्कुल वैसा ही है, जैसे अजंता में साइकेडेलिक लाइट या ताज महल में डिस्को हो रहा हो।”
गाने के सार से छेड़छाड़ ठीक नहीं
जावेग अख्तर ने आगे कहा कि, “ये सब महान गायकों के गाने हैं, आपको इनका सम्मान करना चाहिए। यह एक सांस्कृतिक विरासत है। आप चाहते हैं कि कोई और इसे नए ऑर्केस्ट्रा और व्यवस्था के साथ गवाए, इसमें कोई समस्या नहीं है। जैसे, आप सहगल साहब का गाना लें और अरिजीत से गवाएं, यह ठीक है। लेकिन आप वह गाना लेते हैं और बीच में एक रैप जोड़ते हैं, ये सब ठीक नहीं है।”