बॉलीवुड के जाने माने गीतकार मनोज मुंतशिर (Manoj Muntashir) और फिल्म समीक्षक अजय ब्रह्मात्मज के बीच ट्वीटर पर भिड़ंत देखने को मिली है। अजय ब्रह्मात्मज ने ट्वीट कर मनोज मनोज मुंतशिर पर तंज कसा है। अजय ने लिखा, ‘ मलते रह गए हाथ शिकारी… उड़ गया पंछी तोड़ पिटारी..अंतिम गोली ख़ुद को मारी … जियो तिवारी, जनेऊधारी..!!!” #ChandraSekharAzad आज़ाद जाति-धर्म से परे राष्ट्र के क्रांतिकारी आंदोलन में क़ुर्बान हुए। 2020 में मनोज मुंतशिर ने उन्हें तिवारी व जनेऊधारी बना दिया। मैं निंदा करता हूं।’
अजय ब्रह्मात्मज के इस ट्वीट पर रिएक्ट करते हुए मनोज मुंतशिर ने लिखा, ‘आदरणीय अजय ब्रह्मात्मज, फिर तो आपको ‘पगड़ी सम्भाल जट्टा’ गाने पर भी ऐतराज़ होगा, क्यूँकि यहाँ भगत सिंह को ‘जट’ कहा जा रहा है। #BhagatSingh ने पगड़ी को मान दिया और #ChandraShekharAzad ने जनेऊ को, उनकी शहादत के बाद हमारा कर्तव्य है कि हम उनके अपनाए हुए संस्कारों का सम्मान करें।’
आदरणीय @brahmatmajay, फिर तो आपको ‘पगड़ी सम्भाल जट्टा’ गाने पर भी ऐतराज़ होगा, क्यूँकि यहाँ भगत सिंह को ‘जट’ कहा जा रहा है ! #BhagatSingh ने पगड़ी को मान दिया और #ChandraShekharAzad ने जनेऊ को, उनकी शहादत के बाद हमारा कर्तव्य है कि हम उनके अपनाए हुए संस्कारों का सम्मान करें. https://t.co/Z6ueN6sZRN
— Manoj Muntashir (@manojmuntashir) July 24, 2020
मनोज मुंतशिर और फिल्म समीक्षक अजय ब्रह्मात्मज के बीच इस भिड़ंत पर यूजर्स जमकर रिएक्टर कर रहे हैं। चंदन पांडे ने लिखा, ‘मनोज जी ‘पगड़ी सम्भाल जट्टा’ एक गाना मात्र नहीं है। आपको यह जानना चाहिये कि यह एक नारा है। इसके पीछे कैनल कॉलोनी द्वारा रची गई बदमाशियों के खिलाफ संघर्ष है। यह नारा एक महान संघर्ष परम्परा से जुड़ता है जिसकी तमाम खूबियों के कारण भगत सिंह ‘भगत सिंह’ बन सके।’
मनोज जी ‘पगड़ी सम्भाल जट्टा’ एक गाना मात्र नहीं है। आपको यह जानना चाहिये कि यह एक नारा है। इसके पीछे कैनल कॉलोनी द्वारा रची गई बदमाशियों के खिलाफ संघर्ष है। यह नारा एक महान संघर्ष परम्परा से जुड़ता है जिसकी तमाम खूबियों के कारण भगत सिंह ‘भगत सिंह’ बन सके।
— Chandan Pandey (@chandanpandey) July 25, 2020
विवेक शुक्ल ने लिखा, ‘वो अपने राष्ट्र की सेवा में थे, उन्होंने कभी भी नहीं नकारा की उन्हें जाति धर्म परंपरा से कोई बैर है। हाँ, वो इनके भीतर व्याप्त बाजारवाद और आडंबरों के घोर निंदक थे। हमें कलाम को मुस्लिम कहे जाने पर, गाँधी को गाँधी कहे जाने पर कोई आपत्ति नहीं अगर उन्हें नहीं थी तो। कर्म महान है बस।’
महेश शुक्ला ने लिखा, ‘जाने क्यों ब्राह्मणों से इतनी नफरत है? कुछ समझ नहीं आता। अरे भाई वो तिवारी थे , तो तिवारी को तिवारी लिख के क्या गलत कर दिया? इसमें कोई बुराई नहीं है, मनोज भैया इन लोगों को मत सुनिये। दोहरी मानसिकता के लोग हैं यहां। अब इन्हें सच से भी समस्या है।’