Javed Akhtar: गीतकार जावेद अख्तर सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं। जावेद अख्तर आए दिन कोई न कोई ट्वीट या पोस्ट शेयर करके चर्चा में बने रहते हैं। शनिवार शाम जावेद अख्तर ने महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में हुए ट्रेन हादसे को लेकर ट्वीट किया जिसके बाद वो ट्रोलर्स के निशाने पर आ गए। जावेद अख्तर ने ट्वीट कर लिखा, ‘यह सोचने के लिए बेतुका है कि 16 लोग एक ट्रैक पर न केवल लेटे थे, बल्कि एक पंक्ति में सो रहे थे। ऐसे में ये सम्भावना है कि जो लोग चलने से थके हुए हों वो ट्रेन को रोकने के लिए ट्रैक पर खड़े हों। इंजन चालक समय रहते ट्रेन को रोक नही सका होगा।’
इस ट्वीट के बाद ट्विटर पर जावेद अख्तर ट्रोल्स के निशाने पर आ गए। एक यूजर ने जावेद अख्तर को ट्रोल करते हुए लिखा, ‘साहब कहा से शिक्षा ली है तुमने सॉरी तालीम बोलते है ना? अगर ट्रेन 100 की स्पीड में हो इमरजेंसी ब्रेक लगा भी दिए जाएं तो ट्रेन 800 से 900 मीटर की दूरी तय कर लेती है। ट्रेन अगर 70,80 भी रही होगी तो 2 किलोमीटर दूर तक का तो दिखेगा नही। बौखलाहट आपकी ऐसी है जैसे ट्रेन मोदी चला रहे हो।’ वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा, ‘ये बॉलीवुड नही है कि कोई हाथ से ट्रेन रोक दे। लोगों ने अपनी जान खोई है और आप यहां पर भी रीजनीति कर रहे हो। कुछ तो शर्म करो।’
To think that 16 people were not only lying down but sleeping in a row on a track is absurd . In all the probability those unfortunate tired of walking people had stood on the track to stop the train . The engine driver couldn’t or didn’t stop it in time .
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) May 9, 2020
ऐसा पहली बार नही है कि जावेद अख्तर ट्रोलर्स के निशाने पर आए हों इससे पहले गीतकार जावेद अख्तर ने अजान के दौरान लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि इससे लोगों को दिक्कत होती है, ऐसे में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए। इस ट्वीट के बाद भी उन्हें ट्रोलर्स का सामना करना पड़ा था। बता दें कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एक मालगाड़ी की चपेट में आने के बाद 16 प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई थी।
लॉकडाउन के चलते मजदूर लोग जालना से भुसावल की ओर पैदल मध्यप्रदेश लौट रहे थे। वे रेल की पटरियों के किनारे चल रहे थे और थकान के कारण पटरियों पर ही सो गए थे। सुबह सवा पांच बजे के करीब एक ट्रेन वहां से गुजरी जिसने मजदूरों को संभलने तक का मौका नही मिला और सभी मजदूर ट्रेन की चपेट में आ गए।