प्रतिभा के धनी राज कपूर ने 24 साल की उम्र में आरके स्टूडियो की स्थापना की और 1950 के दशक तक वह फिल्म इंडस्ट्री में सबसे लोकप्रिय नामों में से एक बन गए। कहा जाता है कि वर्ल्ड वॉर 2 के बाद राज कपूर इंटरनेशनल मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व किया करते थे। राज कपूर को याद करते हुए कबीर बेदी ने बताया कि राज कपूर का मानना था कि आप कितने भी बड़े फिल्ममेकर क्यों न हो, सरकार के आगे आपको झुकना ही पड़ता है।

बॉलीवुड हंगामा को दिए इंटरव्यू मे कबीर बेदी ने कहा, “राज कपूर ने एक बार मुझे कहा था ‘कबीर’ मैं कितना भी बड़ा फिल्ममेकर क्यों न हूं, मुझे सरकार के सामने झुकना पड़ता है, क्योंकि सेंसरशिप एक ऐसी चीज है जो फिल्म को बर्बाद कर सकती है।  अगर फिल्म निर्माता चाहते हैं कि उनकी फिल्म बर्बाद न हो तो उन्हें ऐसी फिल्में बनानी होंगी जो सरकार को नापसंद न हों।'”

बता दें कि 1950 के दशक में आई राज कपूर की फिल्म ‘श्री 420’ और ‘आवारा’ जिसमें बेरोजगारी और शिक्षा की कमी के विषयों को दिखाया गया था। ये फिल्में सरकार के खिलाफ थी। मगर बाद में राज कपूर ने ऐसी फिल्में बनाई, जिसमें समाज के अन्य पहलुओं को दिखाया जाता था, ये फिल्में सीधे तौर पर सरकार के खिलाफ नहीं होती थीं। कबीर ने कहा कि राज तब भी उन फिल्मों का समर्थन करते हैं जो सरकार को पसंद नहीं आती थी।

गौरतलब है कि ये उस वक्त की बात है जब राज कपूर सोवियत संघ का हिस्सा थे। राज कपूर का प्रभाव इतना था कि वो 1950 के दशक में रूस की कई यात्रा करते थे और देश में उनका नाम होने के कारण, उन्होंने भारत और रूस के बीच कई सांस्कृतिक आदान-प्रदान किए और दोनों देशों के रिश्ते मजबूत बनाए जो आज भी कायम है।