रवि किशन (Ravi Kishan) भोजपुरी सिनेमा (Bhojpuri Cinema) के सबसे बड़े स्टार माने जाते हैं। 250 से भी अधिक भोजपुरी फिल्मों में काम कर चुके रवि किशन आज भले ही करोड़ोंं दिलों पर राज करते हैं लेकिन जब गांव में उनकी एक्टिंग में दिलचस्पी जग रही थी उस वक्त उनको खूब मार पड़ती थी। इस पूरी कहानी का रवि किशन ने एक इंटरव्यू में जिक्र किया था।

रवि किशन ने बताया था कि बचपन में वह मां की साड़ी चुराते थे और वही पहनकर गांव के रामलीला में सीता का किरदार निभाते थे। रवि किशन का साड़ी पहनना और सीता का रोल करना उनके पिता को रास नहीं आती थी। इस बात से वो काफी नाराज होते थे। रवि किशन ने इस वाकए का जिक्र करते हुए कहा कि एक दिन पिता जी बहुत मार मारे। पट्टा-पट्टा खूब मारे थे। मारते हुए उन्होंने कहा था कि नचनिया बनबे (नाचने वाली बनोगे)। नचनिया होना गांव में बहुत बुरा माना जाता था।

मुंबई पहुंचने की कहानी के बारे में बताते हुए रवि किशन ने कहा कि मैं घर से भागता नहीं तो पिता जी मार डालते। रवि ने बताया कि मां ने 500 रुपए दिए और कहा कि बेटा निकल जाओ नहीं तो मरा जाओगे। रवि किशन भागकर मुंबई आए, काम की तलाश की, इस बीच वह एक चॉल में रहे। रवि किशन ने बताया था कि अगर उनके पिता ने उन्हें बेल्ट से मारा न होता तो शायद वह भटक जाते वह यां तो कोई गुंडे मवाली होते या फिर गलत काम कर रहा होता।

जौनपुर के पंडित कुल में जन्में रविकिशन अपने गांव से जब माया नगरी मुंबई आए तो कहीं से कुछ आसरा नहीं था। ना रहने का ठिकाना था ना ही जीवन यापन का कुछ जरिया था। रवि किशन के पास सिर्फ 500 रुपए ही थे जो उनकी मां ने घर छोड़ते हुए उन्हें दिए थे। रवि किशन मुंबई में काम ढूंढना शुरू किया तो स्ट्रगल क्या होती है पता चला। छोटे-मोटे रोल के लिए भी काम नहीं मिल रहा था। इसके लिए भी उनको काफी रिजेक्शन झेलने पड़े। रवि किशन को फिल्म ‘पितांबर’ से ब्रेक मिला था। काजोल के साथ ‘उधार की जिंदगी’ की।

रवि किशन हिंदी फिल्मों सहित कई सीरियल्स में भी काम किए लेकिन पहचान उनको सलमान खान की फिल्म ‘तेरे नाम’ से मिली। साल 2001 में फिर बंद हो चुके भोजपुरी इंडस्ट्री को रवि किशन ने सईयां हमार फिल्म बनाकर जिंदा किया। यह फिल्म काफी हिट हुई और भोजपुरी ने उनको इतना नाम और पैसा दिया कि वो एक सुपरस्टार का खिताब पा लिए। उनको भोजपुरी का अमिताभ बच्चन कहा जाने लगा।