निर्देशक- एजाज खान, कलाकार-राजपाल यादव, टिया वाजपेयी, सत्यजीत दुबे, संजय मिश्रा, विजय राज
यह एक कॉमेडी है। फिल्म का नाम मजेदार है और कहानी भी। दर्शकों को हंसने के लिए काफी मसाला पेश किया गया है। खैर, सबसे पहले जान लीजिए कि निर्देशक ने कहना क्या चाहा है। आजकल प्राक्सी यानी छद्म का जमाना है। जो चीज जैसी है, वैसी दिखती नहीं है। फिल्म में बांके (राजपाल यादव) नाम का एक शख्स है। उसकी शादी होनेवाली है। लेकिन उसकी कुंडली में कोई दोष निकल आता है। अब मामले को कैसे सुलझाया जाए? आखिर उसे कुंवारा तो रखा नहीं जा सकता?
तो परिवार वाले तय करते हैं कि दूल्हे के रूप में किसी और को भेज दिया जाए और शादी के बाद दुलहन बांके की हो जाए। इसलिए विराट (सत्यजीत) नाम के नौजवान को ढूंढ़ा जाता है जो पैसे के एवज में यह काम करने को तैयार हो जाता है। शादी हो भी जाती है।
लेकिन शादी के बाद दुलहन अंजलि (टिया वाजपेयी) को इस धोखे से बड़ा धक्का लगता है। वह विराट को काफी बुरा-भला कहती है। विराट अपनी मजबूरी बताता है। और फिर अंजलि एक ऐसा खेल खेलती है कि बांके मुंह ताकता रह जाता है। फिल्म में व्यंग्य थोड़ा कमजोर हो गया है। लेकिन खिलखिलाने के अवसर काफी हैं।
