अटल बिहारी वाजपेयी एक कुशल राजनीतिज्ञ, रणनीतिकार और बेहद ही सुलझे हुए इंसान के तौर पर अमर रहेंगेेे। वह बड़े पदों पर रहते हुए भी साधारण इंसान की तरह रहते थे। पद को लेकर उनके मन में कभी कोई लालसा नहीं रही। वह कहा करते थे- बड़ा पद नहीं है तो क्‍या हुआ, कार्यकर्ता का पद तो है और यह पद हमसे कभी कोई छीन नहीं सकता। प्रधानमंत्री बनने पर भी उन्‍हें पद की चाह नहीं रही। उन्‍होंने सदन में कहा था-  अभी प्रधानमंत्री हूं, अगले पल नहीं रहूंगा। पर जोड़तोड़ से सत्‍ता पाने का बोझ लेकर जी नहीं सकता। वह हर पर‍िस्‍थ‍ित‍ि में हास-पर‍िहास के जर‍िए गंभीर बात भी सामान्‍य अंदाज में कह देते थे। जीवन को भी वह इसी अंदाज में जीते थे। फ‍िल्‍मों को लेकर उनका गहरा शौक भी शायद इसकी एक वजह रही हो।

बीजेपी की वेबसाइट पर उनकी पसंदीदा फ‍िल्‍म के रूप में ‘देवदास’ का नाम ल‍िखा गया था। हालांंक‍ि उनकी पसंदीदा फ‍िल्‍में कई और हैं। हेमा माल‍िनी की ”सीता और गीता” भी ऐसी ही एक फ‍िल्‍म थी। यह फ‍िल्‍म उन्‍होंने एक नहीं, कई बार देखी थी। अलग-अलग मीड‍िया र‍िपोर्ट्स में यह संख्‍या दस से 25 तक बताई जाती है। एक क‍िस्‍से के मुताब‍िक अटल बिहारी वाजपेयी मशहूर अभिनेत्री हेमा मालिनी के बहुत बड़े फैन हुुुुआ करते थे। यह जानकारी खुद हेमा को भी नहीं थी। उन्‍हें यह बात तब पता चली जब अटल जी से मुलाकात का मौका म‍िला।

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हेमा मालिनी ने खुद इस वाकये का ज‍िक्र करते हुए बताया था क‍ि काफी वक्त पहले जब वो अटल बिहारी वाजपेयी से मिलना चाहती थींं तो उन्हें वाजपेयी से मुलाकात कराने के लिए ले जाया गया। मुलाकात के दौरान अटल जी हेमा मालिनी से बात करने में हिचकिचा रहे थे।  हिचकिचाहट के बारे में वहां मौजूद एक महिला से पूछा तो उन्होंने बतलाया कि असल में वह आपके बहुत बड़े प्रशंसक हैं। उन्होंने 1972 में आई आपकी फिल्म ‘सीता और गीता’ 25 बार देखी है। आज अचानक आपको सामने पाकर हिचकिचा रहे हैं।’

आपको बता दें कि फिल्म ‘सीता और गीता’ के निर्देशक रमेश सिप्पी थे। फिल्म के लेखक सलीम-जावेद थे। इस फिल्म के लिए हेमा मालिनी को फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार भी मिला था। फ‍िल्‍म 1972 में आई थी। इसमें हेमा मालिनी का डबल रोल था। फिल्म में अभिनेता संजीव कुमार और धर्मेन्द्र अहम भूमिका में थे। इस फिल्म को उस समय दर्शकों का काफी प्यार मिला था।