आशीष विद्यार्थी ने अपने करियर की शुरुआत में ही नेशनल अवॉर्ड जीत लिया था, ऐसा ही एक्टर मिथुन चक्रवर्ती के साथ भी हुआ था। लेकिन ज़िंदगी के एक पड़ाव पर दोनों ने बी-ग्रेड फिल्मों में भी काम किया। हाल ही में एक इंटरव्यू में आशीष ने बताया कि उन्होंने ये फ़ैसला इसलिए लिया क्योंकि वे पैसों के लिए बेहद मजबूर थे और मना करने की हालत में नहीं थे।

सिद्धार्थ कन्नन से अपने यूट्यूब चैनल पर बात करते हुए आशीष ने कहा, “मैंने बहुत सारी फिल्में सिर्फ पैसों के लिए कीं। मेरे माता-पिता बहुत बूढ़े थे। जब मैं बॉम्बे आया, तो मैंने ठान लिया था कि अपने माता-पिता को अच्छी ज़िंदगी दूँगा। मैं एक जुनूनी अभिनेता था, लेकिन शानदार रोल्स का इंतज़ार नहीं कर सकता था क्योंकि मेरी ज़िम्मेदारियाँ थीं।”

उन्होंने आगे कहा, “मैंने बहुत-सी फिल्में पैसों के लिए कीं। वो बहुत बुरा समय था जब ऊटी में मिथुन दा के साथ फिल्में बनती थीं। मैं उन फिल्मों में बहुत रहा। वो मेरे लिए बहुत दर्दनाक समय था। मुझे पता था कि मैं सिर्फ घर चलाने के लिए ये रोल्स कर रहा हूँ। मुझे पता था कि मैं खुद को उन सेट्स पर ऐसे नहीं देखना चाहता। लोग मुझसे निराश हो जाते, कहते ‘तुम इससे बेहतर कर सकते हो।’ मैं बस कहता ‘हाँ’ और फिर भी वो फिल्में करता रहता।”

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आगे आशीष ने कहा, “मैं किराए के घर में रहता था। मुझे अपने माता-पिता का ख्याल रखना था। उस समय मैंने सोचा, ‘बॉस, मुझे कुछ करना पड़ेगा।’ हालात ऐसे थे कि मैं किसी को मना नहीं कर सकता था। लोग कहते, ‘क्यों नहीं करेगा बे?’ यहाँ तक कि कुछ बड़े निर्देशक भी ये कहते थे। जब मैंने उन्हें ‘ना’ कहा, तो मुझे दूसरी कमाई का रास्ता ढूँढना पड़ा और तभी मैं साउथ की ओर गया।”

आशीष ने बताया सब कुछ तुरंत ठीक नहीं हुआ। दो महीने से ज़्यादा समय तक उन्हें काम नहीं मिला। फिर एक दिन मशहूर फ़िल्मकार टी. रामाराव का फ़ोन आया। आशीष ने याद किया, “मैं फ्लाइट लेकर वहाँ गया, बहुत से लोगों से मिला, लेकिन दो महीने तक कोई काम नहीं मिला। फिर टी. रामाराव का फोन आया। जब मैं उनसे मिला तो उन्होंने कहा, ‘आशीष, मुझे तुम्हें नहीं चाहिए, लेकिन मेरे पागल डायरेक्टर को चाहिए। तुम्हें फिल्म करनी होगी। मैं तुम्हें पैसे नहीं दूँगा।’ मैंने मान लिया। फिर उन्होंने कहा कि वो मजाक कर रहे थे।”

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जब मिथुन चक्रवर्ती ने ‘बी-ग्रेड’ फिल्में कीं

हीरो के तौर पर अपने दौर के बाद मिथुन चक्रवर्ती का करियर नीचे जाने लगा। तब उन्होंने ऊटी में लो-बजट एक्शन फिल्में करनी शुरू कीं, उन्होंने ऐसी सौ से भी ज़्यादा फिल्में कीं और इस दौर में मीडिया ने उन्हें “बी-ग्रेड” एक्टर कह दिया।

यूट्यूब चैनल Who’s On Air? से बात करते हुए मिथुन के बेटे नमाशी चक्रवर्ती ने अपने पिता की पसंद का बचाव किया। उन्होंने कहा, “एक समय था, 90 के दशक के बीच में, जब मेरे पिता का हीरो वाला करियर नीचे जा रहा था। तब उन्होंने ऊटी में लो-बजट एक्शन फिल्में करनी शुरू कीं। उन्होंने ऊटी में करीब 100 फिल्में कीं, और मीडिया ने उन्हें बी-ग्रेड एक्टर कहा। उनकी फिल्मों को नीचा दिखाया। लेकिन सच्चाई ये है कि ऊटी में रहकर उन्होंने 100 फिल्में कीं, ये किसी ने किया ही नहीं था। उन्होंने अपनी खुद की इंडस्ट्री बना ली, लेकिन मीडिया ने कभी उसका समर्थन नहीं किया, उनके अपने पसंदीदा लोग होते हैं।”

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