छोटे परदे पर साल 1987 में रामानंद सागर की रामायण में राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल जहां भारतीय दर्शकों के बीच राम के पर्याय बनें वहीं इस शो ने उनके करियर को गर्त में भी ला दिया। उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में इस बात का खुलासा किया है कि इस शो के बाद कोई भी निर्माता उन्हें किसी भी किरदार के लिए कास्ट नहीं करना चाहता था।
टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए साक्षात्कार में अरुण ने अपने करियर के पतन के बारे में बोलते हुए कहा, मैंने अपने करियर की शुरुआत एक हिंदी फिल्म में हीरो के तौर पर की थी। लेकिन रामायण के बाद, जब मैं बॉलीवुड में वापसी करना चाहता था, तो निर्माता कहते थे कि राम के रूप में आपकी छवि इतनी मजबूत है, हम आपको किसी और के रूप में कास्ट नहीं कर सकते या आपको सहायक भूमिका नहीं दे सकते।
एक्टर ने बताया कि उनकी राम की छवि लोगों में इतनी बैठ गई थी कि थोड़ी सी भी गलती पर मुझे उसी नाम से टोकते थे। बकौल अरुण, उन्हें (निर्माता) लगा कि मैं अब कमर्शियल फिल्मों के लिए अनुकूल नहीं हूं। यह मेरे करियर का सबसे बड़ा माइनस पॉइंट बन गया था। और मुझे एहसास हुआ कि मैं कभी भी उस तरह से शोबिज नहीं कर सकता जैसा मैं चाहता था। मैंने कुछ टीवी शो करता तो उस वक्त कुछ ना कुछ गलती कर दिया करता जिसपर वे टोकते हुए कहते, ‘अर्रे!, रामजी क्या कर रहे हैं।’
अरुण आगे उस निराशा को याद करते हैं और बताते हैं, मैं निराश था और मेरे करियर पर सवालिया निशान था। एक तरफ, एक शो (रामायण) से जहां मुझे बहुत प्यार और प्रशंसाएं मिलीं, दूसरी तरफ इसकी वजह से मेरा करियर ही रुक गया था। कुछ और ना कर पाने की छटपटाहट को बयां करते हुए गोविल ने कहा कि पिछले 14 वर्षों से वे स्पेशल एपीयरेंस के अलावा कुछ भी नहीं कर पाए।