अल्लू अर्जुन ने 2023 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले तेलुगु अभिनेता बनकर इतिहास रच दिया। उन्हें सुकुमार निर्देशित फिल्म पुष्पा: द राइज में उनकी भूमिका के लिए पुरस्कार मिला। पुष्पा 2 की रिलीज का इंतजार कर रहे अल्लू अर्जुन ने नेशनल अवॉर्ड जीतने के लगभग एक साल बाद बताया कि जब उन्हें अपना पहला राष्ट्रीय पुरस्कार मिला, तो उन्हें दुख हुआ। उन्होंने कहा, “मैंने सुकुमार से केवल एक ही बात कही, मुझे परवाह नहीं है कि यह फिल्म फ्लॉप हो जाए, मैं बस यही चाहता हूं कि यह फिल्म हमें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पहला राष्ट्रीय पुरस्कार दिलाए।”
‘जब मुझे राष्ट्रीय पुरस्कार मिला तो मैं दुखी था’
हाल ही में NBK के शो अनस्टॉपेबल में अल्लू अर्जुन, ने उस पल के बारे में चर्चा की जब उन्होंने पुरस्कार जीता था। इस विषय को उठाते हुए, NBK ने कहा, “जब से तेलुगु फिल्म उद्योग ने फिल्में बनाई हैं, यह 67 वर्षों में पहली बार है जब किसी तेलुगु अभिनेता ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता है। आपने वादा किया था कि आप व्यावसायिक सिनेमा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान अर्जित करेंगे और आपने अपना वादा निभाया। तब आपको कैसा लगा?
उन्होंने कहा, “एक बार मैं राष्ट्रीय पुरस्कार विजेताओं की सूची देख रहा था और मुझे एक भी तेलुगु नाम नहीं मिला। मैंने सिर्फ़ नागार्जुन सर का नाम देखा, लेकिन उन्हें भी किसी विशेष भूमिका के लिए यह पुरस्कार मिला था। सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के रूप में कोई नहीं था। यह मेरे दिमाग में रहा।”
उन्होंने आगे कहा, “मैंने खुद से सोचा, ‘इतने सारे महान अभिनेता थे। वे इसे कैसे मिस कर गए? आपकी पीढ़ी इसे कैसे मिस कर गई? पिछली पीढ़ियों के बारे में क्या? टॉलीवुड में अभिनय के इतने दिग्गज होने के बावजूद हमें पुरस्कार क्यों नहीं मिला?”
अल्लू अर्जुन ने कबूल किया, “जब मुझे वह पुरस्कार मिला तो मैं खुश होने से ज़्यादा दुखी था। मुझे लग रहा था कि एक तेलुगु स्टार को यह पुरस्कार मिलने में इतना समय लग गया।” उन्होंने कहा, यही वह क्षण था जब उन्होंने तय किया “मैं इसे हासिल करके रहूंगा।”
‘मैंने राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए पुष्पा की थी’
अभिनेता ने आगे बताया कि जब से उन्होंने पुष्पा के बारे में बात करना शुरू किया था, तब से ही वे राष्ट्रीय पुरस्कार के बारे में सोच रहे थे। उन्होंने कहा, “मैं यह पहली बार साझा कर रहा हूँ। मैंने यह बात पहले किसी को नहीं बताई। जब सुकुमार और मैं पुष्पा की योजना बना रहे थे… जैसे ही उन्होंने मुझे कहानी सुनाई, मैंने उनसे सिर्फ़ एक बात पूछी, ‘अगर फ़िल्म हिट नहीं भी होती है तो भी मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। लेकिन मुझे इस फ़िल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीतना ही होगा और यह तभी संभव होगा जब तुम इसे हासिल करोगे।”
“उन्होंने कहा, ‘मैं पूरी कोशिश करूँगा कि तुम्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिले। और फिर आप इस पर यकीन नहीं करेंगे… हर एक शॉट के लिए… वह कहते थे, ‘डार्लिंग, नेशनल अवॉर्ड के लिए यह रेंज काफी नहीं है।’ हर टेक और शॉट के दौरान ऐसा होता था। हम दोनों के बीच हर बातचीत इसी बारे में होती थी।”