निर्देशक- उमेश शुक्ला
कलाकार- अभिषेक बच्चन, असिन, ऋषि कपूर, सुप्रिया पाठक कपूर
यह एक ऐसा पारिवारिक ड्रामा है जिसमें टंटे ज्यादा हैं और काम की बातें कम। यानी पारिवारिक झगड़े ज्यादा हैं। पति अपनी पत्नी पर लगातार खीजता रहता है और इसका दंड भुगतना पड़ता है दर्शक को। वैसे निर्देशक ने इसमें श्रवण कुमार की पुरानी कहानी की छौंक लगा दी है जिसमें एक बेटा अपने माता-पिता को अपने कंधे पर लाद कर तीर्थयात्रा करने निकला था। लेकिन यह कहानी एक कलयुगी ढांचे में ढाली गई है और ढलाई ऐसी की गई है कि कुछ जगहों पर ऐसी उलझन होती है कि समझ में नहीं आता कि माजरा क्या है।
इंदर भल्ला (अभिषेक बच्चन) भजनलाल भल्ला (ऋषि कपूर) का बेटा है। भजनलाल भल्ला की हिमाचल में बेकरी की दुकान है। भजनलाल की न तो अपनी पत्नी (सुप्रिया पाठक) से बनती है और न बेटे से। बेटा घर छोड़कर बैंकाक चला गया है। उसे गाना गाने में दिलचस्पी है और अपना म्यूजिक एलबम निकालना चाहता है, पर पैसा नहीं है। एक दिन उसके पास एक फोन आता है जिसकी वजह से उसे अपने पिता के पास पहुंचना पड़ता है।
वहां मालूम होता कि उसके पिता पर काफी कर्ज है और चीमा (जीशान अयूब) नाम का एक बदमाश उसके पिता के पीछे पड़ गया है। चीमा भल्ला परिवार की बेकरी हड़पना चाहता है। भल्ला परिवार भागता है और उसके पीछे है चीमा और उसके दूसरे बदमाश साथी। और हां, इंदर को दिलो-जान से प्यार करनेवाली निम्मी (असिन) भी उसके साथ है। भल्ला परिवार और उसके पीछे भागने वाले बदमाशों को लेकर यह सारी कहानी है। लेकिन इसमें हास्य के लम्हे हैं एक्शन के नहीं। पूरी फिल्म चुटकुलों और मजाक से भरपूर है। लेकिन ये सब इतने ज्यादा हैं कि कुछ जगहों पर बोरियत भी हो जाती है।
निर्देशक ने एक कॉमेडी बनाने की कोशिश की है लेकिन कुछ फार्मूले इतने परिचित हैं कि वे हंसाते नहीं बल्कि सिर को भन्ना देते हैं। यह एक लंबे अरसे के बाद आई अभिषेक बच्चन की ऐसी फिल्म है जिसमें सारा जोर उन्होंने अपने कंधे पर उठाया है। यह दीगर है कि शायद इसी वजह से यह फिल्म कई जगहों पर हिचकोले भी खाती है।
दर्शकों को हिचकोले से बचाने के लिए सोनाक्षी सिन्हा के आईटम नंबर का सहारा लिया है। लेकिन आप साढ़े तीन मिनट के ठुमकों से पूरी फिल्म को तो बचा नहीं सकते न। फिर भी, अगर कोई कॉमेडी का मारा है तो इस फिल्म में उसके हंसने का मसाला तो मौजूद है ही। अभिषेक को अपने कंधे पर इतना जोर नहीं लेना चाहिए। अगर यह फिल्म मल्टी स्टारर होती तो कुछ अधिक मजेदार होती।