सीने की स्याही से जो लिखते हैं इरादों को, उनकी किस्मत के पन्ने कोरे नहीं होते। यह शेर उन सभी पर लागू होता है जो अपनी मेहनत से अपनी नींव मजबूत करते हैं। ऐसे ही एक लक्ष्य को पाने वाले बिहार के गया जिले में पैदा हुए सुदीप पांडेय की जीवनी है। मध्य वर्ग के एक परिवार में जन्मे पांडेय ने कसम खाई थी कि वे फिल्मों में हीरो बनेंगे। इसके लिए उन्हें काफी पापड़ बेलने पड़े। अब तक 40 भोजपुरी फिल्में करने के बाद उनकी पहली हिंदी फिल्म ‘वी फॉर विक्टर’ इसी साल मार्च में रिलीज होने वाली है। साल 2007 में भोजपुरी फिल्म ‘भोजपुरिया भैया’ से अपनी फिल्मी दुनिया की शुरुआत करने वाले पांडेय इस समय उत्तरप्रदेश, बिहार, उत्तराखंड सहित मुंबई नगरी में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं।
मध्य प्रदेश के भोपाल में मौलाना आजाद इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद साल 2000 में अमेरिका में नौकरी करने चले गए। वहां की एक बड़ी साफ्टवेअर कंपनी में बतौर टीम लीडर उन्होंने नौकरी शुरू की। अच्छा वेतन मिला तो उन्हें लगा कि अब इसी पैसे से वे अपने सपने साकार करेंगे। उन्हें धुन सवार थी कि पैसे इकठ्ठा करके फिल्म बनानी है। 2005 में भारत लौट कर पहली फिल्म ‘भोजपुरिया भैया’ में बतौर निर्माता-अभिनेता के रूप में काम किया। उनका कहना है कि अभी उनका लक्ष्य पूरा नहीं हुआ है। उनका लक्ष्य है हिंदी फिल्मों में अपनी पहचान बनाना।
अपनी नई और पहली हिंदी फिल्म ‘वी फॉर विक्टर’ के बारे में सुदीप का कहना है कि फिल्म रिलीज के लिए तैयार हो गई है। इस फिल्म में दर्शकों को खूबसूरत लोकशन और दृश्य देखने को मिलेंगे। वी फॉर विक्टर उन देशप्रेमियों की कहानी है जो गुमनाम रहते हुए अपने देश पर बलिदान हो जाते हैं।
सुदीप कहते हैं कि बिहार की माटी, वहां की लोक संस्कृति, वहां की बोली-भाषा को आखिर एक पहचान देना ही तो उनका मकसद है जिसे वे अपने जीवन में ‘वी फॉर विक्टर’ से शुरुआत कर रहे हैं। विक्टर में उनके साथ बांग्ला फिल्मों की मशहूर कलाकार पामेला और दक्षिणी की स्टार रूबी परिहार हैं। नसीर अब्दुल्ला, उषा वाच्छानी, रासुल टंडन, संजय स्वराज जैसे बॉलीवुड के कलाकारों ने अपना जौहर दिखाया है। सुदीप के मुताबिक विदेशी लोकेशन पर उन्होंने लगातार 35 दिन शूटिंग की।

