आदिपुरुष…500 करोड़ की फिल्म…बाहुबली वाले प्रभास…तानाजी वाले ओम राउत…इस फिल्म के साथ हर वो चीज जुड़ी है जो इसे ग्रैंड बनाती है, ब्लॉकबस्टर की सारी सामग्री देती है…अब ये वो भूमिका है जो फिल्म के टीजर से तो नहीं, लेकिन ट्रेलर देखने के बाद जरूर बन गई थी। अब फिल्म भी देख ली गई है, पहले से सोचकर गए थे कि रामानंदर सागर की रामायण से कोई तुलना नहीं करेंगे, बिल्कुल न्यूट्रल होकर फिल्म देखकर आए हैं। लेकिन फिर भी फिल्म में एक नहीं कई बड़े ब्लंडर पकड़ में आ गए हैं। ये ब्लंडर ना सिर्फ फिल्म की सारी फील को खत्म करने वाले रहे हैं, बल्कि रामायण देखने को वालों के लिए बड़ा मजाक बन गया है।
ब्लंडर नंबर 1- रामायण के अहम पहलू कर दिए गए मिस
सभी ने अपने बचपन में एक फिल्म जरूर देखी होगी, Ramayana: The Legend of Prince Rama। वहीं जो पहले दूरदर्शन और फिर POGO पर कई बार आई थी। कहने को ANIMATION FILM थी, एक जापानी डायरेक्टर ने डायरेक्ट की थी, लेकिन कह सकते हैं कि कमाल का काम किया था। वो फिल्म दो घंटे के करीब थी, फिर भी रामायण का हर बड़ा पहलू काफी सरलता के साथ कवर कर लिया गया था। वहीं बात जब आदिपुरुष की आती है, एक नहीं कई अहम चीजें मिस कर दी गई हैं। आपको ये जान हैरानी होगी कि पूरी फिल्म में कहीं भी दो साधुओं का कोई जिक्र ही नहीं किया गया- एक रहे विश्वामित्र और दूसरे गुरू वशिष्ठ…एक राजा दशरथ का मार्गदर्शन करते थे तो दूसरे ने भगवान राम को शस्त्र ज्ञान दिया था। लेकिन आदिपुरुष के मेकर्स ने इतनी जहमत नहीं दिखाई कि उनका एक बार ही सही जिक्र कर देते।
इसी तरह रामायण का एक पहलू दिल को काफी छूने वाला रहता है। जब भरत वन जाते हैं और भगवान राम को वापस अयोध्या चलने की बात करते हैं, वो सीन किसी के भी दिल को खुश कर जाता है। उसमें भाइयों का प्यार है, प्राण जाए वचन ना जाए वाली सीख है। लेकिन आदिपुरुष में भरत की ना कोई शक्ल दिखाई गई और ना ही ये वाला सीन। इसे भी पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया है।
ब्लंडर नंबर 2- बचकाने डायलॉग्स और त्रेता को बना दिया कलयुग
आदिपुरुष ने बताया है कि ये फिल्म रामायण पर आधारित है, यानी कि त्रेता युग जब राम राज्य था। उस माहौल में एक सात्विकता है, एक पवित्रता है। लेकिन यहां मेकर्स ने बड़ी चूक कर दी है। कह सकते हैं कि किरदारों के डायलॉग्स के साथ बड़ा खिलवाड़ किया गया है। हैरानी इस बात की है कि कई डायलॉग सड़क छाप वाली भाषा की फील देते हैं। उदाहरण से समझते हैं- हनुमान जी को इंद्रजीत पकड़कर रावण के पास लेकर जाता है, रावण अपने बेटे को पता है क्या बोलता है- कोई और काम धंधा नहीं है जो बंदर पकड़ रहा है, काम धंधा…ये भाषा क्या त्रेता युग में बोली जाती होगी? एक और उदाहरण देते हैं- रावण का राक्षस, हनुमान जी से कहता है- ये तेरी बुआ का बगीचा थोड़ी है। इस प्रकार की भाषा तो कोई सीरियल में भी कॉमेडी जनरेट करने के लिए इस्तेमाल करता है, लेकिन ये तो रामायण की बात हो रही है।…वैसे हनुमान जी ने भी भगवान राम से एक डायलॉग में कहा – जो बहनों को हाथ लगाएगा उनकी लंका लगा देंगे।
ब्लंडर नंबर 3- सादगी गायब, बनावटी दुनिया पर लुटाया पैसा
रामायण को लेकर कई फिल्ममेकर्स में ये धारणा बन गई है कि ऐसी फिल्म बनाने के लिए बड़े बजट की जरूरत पड़ेगी। लेकिन ये सोच ही किसी बड़े ब्लंडर से कम नहीं है। रामायण सादगी से बनाई जाती है, इसमें बनावटी दुनिया की कोई जगह नहीं है। लेकिन आदिपुरुष के मेकर्स ये नहीं समझ पाए हैं, इसी वजह से उन्होंने चील कऊओं पर 500 करोड़ खर्च कर दिए। वो VFX भी काफी निराश करने वाले रहे हैं। फिल्म में कोई भी ऐसा सीन नहीं देखा गया जिसे देख आदमी इमोशनल हो जाए, उसके दिल को कुछ छू जाए। सबकुछ बनावटी सा लगता है।
ब्लंडर नंबर 4- राम-सीता नहीं, राघव जानकी पर सारा जोर
ये बात सभी को पता है कि भगवान राम को राघव भी कहते हैं, सीता को भी जानकी के नाम से जाना जाता है। लेकिन जब भी हमने बचपन में रामायण की कहानी सुनी है या टीवी पर भी देखी है, हमेशा राम, सीता, लक्षमण, हनुमान, इन्हीं नामों का जिक्र होता था। लोग इन्हीं नामों से सबसे ज्यादा कनेक्ट करते हैं। लेकिन आदिपुरुष ने बिना किसी कारण के यहां भी खेल किया है। पूरी फिल्म में एक बार भी राम, सीता,लक्षमण या हनुमान का जिक्र तक नहीं किया गया। गाने में जरूर राम सिया राम चल रहा होता है, लेकिन डायलॉग्स में इस बात को कोई तवज्जो नहीं दी गई।
ब्लंडर नंबर 5- राम का अग्रैशन और लक्षमण शांत
रामायण के बारे में एक बात सभी को पता है कि भगवान राम शीतल जैसे शांत हैं, लेकिन लक्षमण इसके विपरीत रहते हैं। उनका गुस्सा, उनका जल्दी आपा खो देना उनके व्यक्तित्व का हिस्सा है। इस बात का जिक्र तो ग्रंथों में भी किया गया है। लेकिन आदिपुरुष में कई ऐसे सीन हैं जहां पर प्रभास बने राम काफी गुस्से में दिखाई देते हैं, ऐसा गुस्सा कि किसी को गले से पकड़ लेते हैं, उसे हवा में उठा देते हैं जैली साउथ की फिल्मों में होता है। वहीं लक्षमण जिनका गुस्सा दिखना चाहिए था, वो काफी ठंडे दिखाई पड़े हैं। वैसे भी मेकर्स ने उनके डायलॉग्स फिल्म में काफी कम कर रखे हैं।
ब्लंडर नंबर 6- रावण शिवभक्त-परम ज्ञानी, बॉलीवुड विलेन नहीं
आदिपुरुष ने क्या सोचकर रावण का रोल गढ़ा है, ये समझना काफी मुश्किल है। जो रावण टीजर में दिखा था, जिसका मजाक बना था, मेकर्स ने कोई बदलाव नहीं किया है। वैसा ही बड़ी स्क्रीन पर दिखा दिया गया है। किसी भी रामायण देखने वाले को ये पहलू बहुत खटकने वाला है। रावण राक्षस था, उसने सीता का हरण किया था, लेकिन ये भी एक पहलू है कि वो शिवभक्त था, पंडित था और परम ज्ञानी था। उसके व्यक्तित्व का ये भी एक अहम हिस्सा था, लेकिन मेकर्स ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। किसी बॉलीवुड विलेन और सैफ के रावण में कोई फर्क नहीं किया जा सकता।