फिल्म अभिनेता नसीरुद्दीन शाह का मानना है कि सफल अभिनेताओं को फिल्मों के अलावा दूसरी चीजों में भी रुचि दिखानी चाहिए। शाह का कहना है कि ऐसा नहीं करने पर वे जरूरत से ज्यादा संकुचित विचार वाले बन जाते हैं। शाह ने कहा कि यह शर्म की बात है कि बॉलीवुड के कुछ सबसे बड़े सितारों को जब बौद्धिक चुनौती दी जाती है तो वे बहस करने में खुद को असहज पाते हैं। शाह ने कहा, “मुझे लगता है फिल्म अभिनेताओं को फिल्मों के अलावा अन्य चीजों में भी रुचि पैदा करनी चाहिए.. चाहे वह रंगमंच हो, घुड़सवारी हो, पर्वतारोहण हो या कोई अन्य चीज हो। ऐसा नहीं होने पर आप हमारे उद्योग के एक ऐसे व्यक्ति बनकर रह जाते हैं जो दूसरी चीजों पर दो सेकेंड भी चर्चा नहीं कर सकते।”
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उन्होंने कहा, “आप उनके बारे में रातभर बात करें, वे सुनेंगे, लेकिन यदि आप किसी दूसरी चीज के बारे में बात करें तो उनका दिमाग बंद हो जाता है। मैं समझता हूं कि यह शर्म की बात है कि हमारे कुछ बड़े फिल्मी सितारों को बौद्धिक रूप से चुनौती दी जाती है।” चार दशक से भी ज्यादा लंबे वक्त तक अपने करियर में शाह ने कई शानदार फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया। इनमें ‘निशांत’, ‘जाने भी दो यारों’, ‘मासूम’, ‘मानसून वेडिंग’, ‘मिर्जा गालिब’, ‘सरफरोश’ आदि फिल्में शामिल हैं।
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फिल्म जगत में इतना लंबा समय बिताने के बाद भी शाह का कहना है कि उनके दोस्तों की फेहरिस्त बहुत लंबी नहीं है क्योंकि वह डैनी डेनजोंप्पा, टीनू आनंद और जैकी श्रॉफ जैसे लोगों को मित्र बनाना पसंद करते हैं जो उनकी तरह फिल्मों के अलावा अन्य चीजों में रुचि रखते हैं।