भारतीय सिनेमा के मशहूर एक्टर संजय मिश्रा ने अपने फिल्मी करियर में अलग-अलग जॉनर में काम किया और हर किरदार में जान फूंक दी। उनकी कॉमिक टाइमिंग हो या इमोशनल सीन, उनके टैलेंट का कोई जवाब नहीं। मगर कम ही लोग इस बात को जानते होंगे कि बेहतरीन हुनर के धनी संजय मिश्रा अपनी एक्टिंग छोड़ ऋषिकेश जाकर बस गए थे और वहां एक ढाबे में काम करने लगे थे।

इंडियन एक्सप्रेस स बात करते हुए संजय मिश्रा ने कहा था कि उनके जीवन में एक वक्त ऐसा आया था, जब उन्होंने सब छोड़ दिया था। वह अपना बोरिया बिस्तर उठाकर अपनी अलग दुनिया बसाने निकल गए थे। संजय मिश्रा ने उस वक्त के बारे में बात करते हुए कहा था, “वो टाइम बहुत अलग था। मुझे इंडस्ट्री से कोई गिला नहीं था, मुझे अपनी जिंदगी से शिकायत थी। उस वक्त मेरे पिता गुजर गए थे और मैं भी बीमारी से जूझ रहा था।”

हालातों से तंग आ गए थे संजय मिश्रा

संजय मिश्रा ने बताया कि उनकी सेहत और उनके पिता का जाना एक ही समय पर हुआ था। “मैं गंभीर बीमारी से पीड़ित था, डॉक्टरों ने मेरे पेट से 15 लीटर मवाद निकाला था और उसके ठीक होते ही मैंने अपने पिता को खो दिया। मेरी तो जान निकलने लगी थी, इसलिए, मैं ऋषिकेश गया और गंगा के किनारे एक ढाबे पर आमलेट बनाने लगा। ढाबे के मालिक ने मुझसे कहा कि मुझे एक दिन में 50 कप धोने होंगे और मुझे 150 रुपये मिलेंगे। लेकिन फिर मैंने सोचा कि मुझे जीने के लिए पैसे की जरूरत है।”

अगर रोहित शेट्टी ने किया कॉल

संजय मिश्रा ने ढाबे में काम करना शुरू भी किया लेकिन रोहित शेट्टी का कॉल उन्हें गया और सब बदल गया। “वहां एक दिन काम करने के बाद, जो लोग आते थे वो मुझे पहचानने लगे। वो कहते थे, ‘अरे आप तो गोलमाल में थे न’ और मेरे साथ फोटो खिंचवाते थे। मेरी मां मुझे कॉल करती थी, रोती थी और घर लौटने के लिए कहती थी। इन सबके बीच रोहित शेट्टी का मुझे कॉल आया और उन्होंने मुझे ‘ऑल द बेस्ट’ में रोल ऑफर किया। तब मैंने काम पर वापस लौटने का फैसला लिया।