एक्टर अभय देयोल जो एक बेहतरीन एक्टर होने के साथ-साथ धर्मेंद्र के भतीजे और सनी देओल, बॉबी देओल, ईशा देओल के भाई भी हैं। उन्होंने 2000 में अपना फिल्मी करियर शुरू किया था और उस वक्त उन्हें सफलता से डर लगता था। उनकी फिल्मों का चयन काफी अलग था और उनका परिवार भी इसमें उनसे सहमत नहीं रहता था।
हाल ही में एक बातचीत में अभय ने कहा कि क्योंकि वह विदेशी फिल्में देखकर बड़े हुए हैं, इसलिए वह अक्सर सोचते थे कि इंडियन फिल्में उस तरह क्यों नहीं बनाई जा सकती हैं। फिल्मफेयर को दिए इंटरव्यू में अभय देओल ने इन सब बातों का जिक्र किया।
उन्होंने कहा, “हम विदेशी फिल्में देखकर बड़े हुए और मुझे जो बात परेशान करती थीं वो ऐसा क्यों कर पा रहे हैं और हम क्यों नहीं। हम उन्हें बैकग्राउंड और कल्चर क्यों नहीं दे रहे हैं। हर कोई हीरो या हीरोइन क्यों है? और ये बात मैं 1980 और 1990 की कर रहा हूं। अब सब बहुत बदल गया है, लेकिन तब सिर्फ ब्लैक एंड व्हाइट होता था।”
अभय ने बताया कि उन्हें ये बताया गया था कि भारत के लोग बहुत गरीब हैं और उन्हें हर चीज बहुत समझानी पड़ती हैं, क्योंकि वो पढ़े लिखे नहीं हैं। अभय ने कहा, “हमें बताया जा रहा था कि हमारा देश बहुत गरीब है, यह शिक्षित नहीं है इसलिए आपको उन्हें सब समझाना होगा… और मैं बस इतना कहना चाहता था, लेकिन अगर हम उनके साथ ऐसा ही व्यवहार करने रहेंगे, तो वे कभी ऐसा नहीं करेंगे… क्योंकि फिल्में से कल्चर का निर्माण होता है।” हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि इस बारे में उनसे किसने बात की थी, लेकिन अभिनेता ने बताया कि ये सबक उन्होंने अपने आसपास के लोगों से सीखे थे जब वह 1980 के दशक में देओल परिवार में बड़े हो रहे थे।
अभय ने कहा कि नसीरुद्दीन शाह और शबाना आज़मी जैसे अभिनेता थे जिन्होंने “अपने समय में उस लड़ाई की शुरुआत की” और एक तरह से, उन्होंने ‘देवडी’, ‘मनोरमा सिक्स फीट अंडर’, ‘ओए लकी लकी ओए’ जैसी फिल्मों के साथ उनके नक्शेकदम को फॉलो किया। उन्होंने कहा, “मेरी लड़ाइयां ज़्यादातर क्रिएटिविटी से जुड़ी थीं। मैं कॉम्पिटिशन में बहुत गहराई तक नहीं उतर पाया।”