निर्देशक : शोनाली बोस, कलाकार : कल्कि कोचलिन, रेवती, सयानी गुप्ता।

अक्सर हम यौनिकता (सेक्सुअलिटी) की बातें करते हैं तो ज्यादा सामान्य कहे जाने वाले पुरुषों की होती है या औरतों की। लेकिन जिनको समाज में शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण (फिजिकली चैलेंज्ड) कहा जाता है उनके अंदर क्या यौनेच्छा नहीं जागती? ये एक वाजिब सवाल है लेकिन इसका जवाब ढूंढ़ने की न कोई सामूहिक कोशिश होती है और न ऐसी कोई इच्छा दिखती है।

मगर शोनाली बोस की ये फिल्म एक सुखद अपवाद की तरह आर्ई है और एक मानवीय इच्छा को उतने ही मानवीय तरीके से पेश करती हैं। ‘मार्गरिटा विद ए स्ट्रा’ लैला (कल्कि कोचलिन) की कहानी है। लैला ‘सेरेब्रल पाल्सी’ नाम की बीमारी से पीड़ित है।

यह बीमारी शरीर के अंगों को शिथिल कर देती है। इस कारण लैला एक असहज जिंदगी जीने लगती है। पर उसके भीतर भी यौनेच्छा है। उसका वो क्या करे? क्या वो किसी के साथ शारीरिक संबंध बनाने की क्षमता रखती है? इसी को लेकर पूरी फिल्म बनी है। पर इसके कई पहलू हैं।

जैसे लेस्बियनिज्म (महिलाओं की समलैंगिकता) का मसला भी है, माता-पुत्री के संबंध भी और परिवार के हर सदस्य का उस सदस्य से जज्बाती रिश्ता जो शारीरिक अक्षमता से पीड़ित है – यहां उभरते हैं। ये रिश्तों की कहानी भी है। कल्कि कोचलिन ने लैला और रेवती ने मां की भूमिका को बड़ी सूक्ष्मता से निबाहा है। ये लीक से हटकर फिल्म है।