Indelible ink: अब अगर वोट डाला होगा तो आपको उंगली पर लगाई जाने वाली नीले रंग की स्याही की याद जरूर आती होगी। लोग इंक लगी उंगली के साफ सेल्फी लेकर इसे यादगार बनाते हैं। क्या आपको पता है कि यह इंक कहां बनती है और इसका इतिहास क्या है? इसे लेकर कई सवाल भी आपके सामने होंगे। इन्हीं सवालों के जवाब को विस्तार से समझते हैं।
क्यों लगाई जाती है इंक?
सबसे पहले आपको बताते हैं कि मतदान के दौरान उंगली पर लगने वाली इंक को इसलिए लगाया जाता है जिससे मतदाता दोबारा वोट ना डाल पाए। इसे फर्जी मतदान को रोकने के लिए किया जाता है। यह इंक जल्दी उंगली से नहीं हटती है। काफी समय तक इसके निशान उंगली पर मौजूद रहते हैं। खास बाद यह है कि यह इंक उंगली पर लगने से सिर्फ 40 सेकंड में ही पूरी तरह से सूख जाती है।
कहां से आती है यह इंक?
इसे लोग इलेक्शन इंक या इंडेलिबल इंक के नाम से जानते हैं। भारत में इस इंक को सिर्फ एक ही कंपनी बनाती है। दक्षिण भारत में स्थित मैसूर पेंट एंड वार्निश लिमिटेड (MVPL) नाम की कंपनी इस स्याही को बनाती है। इस कंपनी की स्थापना 1937 में उस समय मैसूर प्रांत के महाराज नलवाडी कृष्णराजा वडयार ने की थी। कंपनी इस इंक को सिर्फ सरकार और चुनाव से जुड़ी एजेंसियों को ही करती है। इस इंक को बाजार में बिक्री के लिए नहीं दिया जाता है। इस कंपनी की पहचान इस इंक को लेकर ही है।
क्या है इसका इतिहास?
इस कंपनी का इतिहास कर्नाटक के मैसूर में वाडियार राजवंश से जुड़ा है। यह राजवंश दुनिया के सबसे अमीर राजघरानों में गिना जाता था। महाराजा कृष्णराज वाडियार आजादी से पहले यहां के शासक थे। वाडियार ने साल 1937 में पेंट और वार्निश की एक फैक्ट्री खोली, जिसका नाम मैसूर लैक एंड पेंट्स रखा। जब देश आजाद हुआ तो यह कंपनी कर्नाटक सरकार के पास चली गई।
क्यों पड़ी इस इंक की जरूरत?
1951-52 में देश में पहली बार चुनाव हुए थे। तब कई लोगों ने एक से अधिक वोट डाले। लोगों की पहचान करना भी मुश्किल हो रहा था। इसकी चुनाव आयोग के सामने शिकायत की गई। चुनाव आयोग इस समस्या का समाधान चाहता था। चुनाव आयोग एक ऐसी स्याही की तलाश में था जिसे आसानी से मिटाया ना जा सके। चुनाव आयोग ने इसके लिए नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी ऑफ इंडिया (NPL) से संपर्क किया। इसके बाद एनपीएल ने ऐसी अमिट स्याही तैयार की, जिसे ना तो पानी से और ना ही किसी केमिकल से हटाया जा सकता था। साल 1962 के चुनाव से इस स्याही का इस्तेमाल किया जा रहा है।
क्यों नहीं मिटती यह स्याही?
इस इंक को बनाने का फॉर्मूला पूरी तरह से गुप्त रखा गया है। हालांकि इसमें सिल्वर नाइट्रेट केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है यह केमिकल जैसे ही हवा के संपर्क में आता है तो महज 40 सेकंड में सूख जाता है। एक बार इस त्वचा पर लगने के कम से कम 72 घंटे तक मिटाया नहीं जा सकता है। सिल्वर नाइट्रेट हमारे शरीर में मौजूद नमक के साथ मिलकर सिल्वर क्लोराइड बनाता है। इस पर ना तो पानी का असर होता है और ना ही इसे साबुन से आसानी से हटाया जा सकता है।
