उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में सियासी दंगल जारी है। इस दंगल में कई जगहों पर पारिवारिक रिश्ते साख पर लगे हैं। चुनावी मैदान में कहीं बाप-बेटे, कहीं पति-पत्नि, कहीं मां-बेटे तो कहीं सास-बहू एक-दूसरे के आमने सामने हैं। इनके सामने सबसे बड़ी चुनौती यह कि इन्हें एक-दूसरे के खिलाफ खड़े होकर एक-दूसरे की कमियों पर हमला करना है। इससे इनके पारिवारिक रिश्तों में तो खटास आ ही रही है इसके साथ ही इसका फायदा इनके विरोधी उठा रहे हैं। अब यह देखना बहुत ही रोचक होगा कि कैसे अपने ही अपनों के लिए रणनीति बनाकर आगे बढ़ेंगे और कौन इस चुनावी मैदान में टिककर बैतरणी पार कर पाता है।
अपने पिता से राजनीति के गुर सीखने वाले विक्रांत अकेला समाजवादी पार्टी द्वारा रायबरेली की बछरांवा सीट से टिकट न मिलने पर बागी हो गए और निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में नामांकन भर दिया। उनके पिता रामलाल अकेला को भी समाजवादी पार्टी ने टिकट नहीं दिया जिसके बाद वे नाराज होकर राष्ट्रीय लोकदल में शामिल हो गए और बछरांवा सीट के लिए अपना नामांकन करवाया। एक तरफ जहां बेटा निर्दलीय चुनान मैदान में है तो वहीं उसके खिलाफ पिता खड़े हैं। पिता को सियासी मैदान में सामने खड़ा देखकर विक्रांत का कहना है कि इसमें परेशानी की कोई बात नहीं है और मेरे सामने कोई भी हो मुझे उससे फर्क नहीं पड़ता क्योंकि चुनाव जीतने के लिए मैं बहुत मेहनत करुंगा। बाप-बेटे के बाद रायबरेली में सास-बहू भी सियासी दंगल में है। एक तरफ जहां बीजेपी के टिकट पर कंचन लोधी चुनाव लड़ रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ अपने सम्मान के लिए उनकी सास गुड़िया लोधी इंडियन जस्टिस पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतर आई हैं।
जिस तरह रायबरेली में रिश्तों के बीच सियासी दंगल है ऐसा ही नजारा इलाहाबाद का भी है। यहां कुछ महीने पहले ही कांग्रेस को छोड़ बीजेपी से टिकट पाकर नंदी दक्षिणी सीट से मैदान में हैं। उनके सामने अनकी पत्नी और इलाहाबाद की महापौर अभिलाषा गुप्ता चुनावी मैदान में खड़ी हैं। इसके बाद हडियां विधानसभा सीट की बात करें तो यहां पर मां-बेटे चुनावी दंगल का हिस्सा बन चुके हैं। जहां पर बीजेपी के टिकट पर बसपा सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रह चुके राकेशधर त्रिपाठी की पत्नी प्रभा त्रिपाटी चुनाव लड़ रही हैं तो दूसरी तरफ निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में नामांकन भरकर प्रभात त्रिपाठी अपनी मां के खिलाफ मैदान में उतर चुके हैं।