गिरधारी लाल जोशी

उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव को लेकर गहमा गहमी है लेकिन पड़ोसी राज्य बिहार के मुंगेर में अवैध हथियारों की तस्करी और उसे बनाने का धंधा जोरों पर है। इसके पुख्ता सबूत ट्रेनों और बसों से निर्मित और अर्धनिर्मित हथियारों का जब्त होना है। इन तस्करों के तार भाया बंगाल- दिल्ली-उत्तर प्रदेश तक जुड़ा है। इसके पुख्ता सबूत ट्रेनों और बसों से निर्मित और अर्धनिर्मित हथियारों का जब्त होना है। इतना ही नहीं खुफ़िया रिपोर्ट भी कहती है कि पिछले साल एक जुलाई को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में की गई 29 लोगों की हत्या में मुंगेर निर्मित पिस्तौल का इस्तेमाल हुआ था। फिलहाल, यह धंधा नोटबंदी या नकद बंदी से बेअसर है और हथियारों की तस्करी जोरों पर है। भागलपुर के एसएसपी मनोज कुमार बताते हैं कि पड़ोसी राज्य में चुनाव की आहट ने अवैध हथियार के धंधे को परवान चढ़ा दिया है।

ताजा मामला रविवार यानी 5 फरवरी की शाम का है जब मुंगेर पुलिस ने एसटीएफ की हिदायत पर जिले के बरियारपुर के घोरघट गांव के पास दो हथियार तस्करों को दबोचा। ये लोग होंडा सिटी कार पर सवार थे। जब कार को रोककर तलाशी ली गई तो डिक्की में रखे 160 अर्धनिर्मित पिस्तौल और 160 पिस्टल के बैरल मिले जिसे पुलिस ने जब्त कर लिया। मौके से गिरफ्तार हथियार तस्कर जितेंद्र पंडित और रतन मंडल मुंगेर का ही रहने वाला है। मुंगेर के एसपी आशीष भारती बताते हैं कि ये हथियार बंगाल के मालदा से मुंगेर फिनिशिंग कराने लाए जा रहे थे। इनसे गहन पूछताछ जारी है। इससे पहले भी 8 जनवरी को हावड़ा-गया एक्सप्रेस ट्रेन से भारी तादाद में अर्धनिर्मित हथियार बरामद हुए थे। रेल पुलिस ने भागलपुर जिले के सुल्तानगंज स्टेशन पर जब गुप्त सूचना पर छापेमारी की तो ट्रेन के एक डिब्बे की सीट के नीचे रखे एक बैग से 40 अर्धनिर्मित पिस्टल मिले। बैग का कोई दावेदार नहीं था। हालांकि, इस सिलसिले में कोई गिरफ्तार नहीं हो सका पर यह पक्के तौर पर बताया जा रहा है कि ये अर्धनिर्मित पिस्तौलें मुंगेर के कुशल कारीगरों से फिनिशिंग टच देने के लिए लाए जा रहे थे।

गौरतलब है कि देसी हथियारों को विदेशी चमक देने में मुंगेर के कारीगर माहिर हैं। मुंगेर का वरदे गांव तो इस काम को अंजाम देने के लिए अरसे से जाना जाता है। यहां घर-घर कारीगर है। हाल ही में एक हथियार तस्कर की निशानदेही पर वरदे और नया रामनगर से चार मिनी बन्दूक फैक्ट्री पकड़ी गई थी। इससे पहले 26 जुलाई को भी सुल्तानगंज स्टेशन पर न्यू फरक्का एक्सप्रेस ट्रेन में छापा मारकर 22 अर्द्धनिर्मित पिस्तौलें बरामद की गई थीं। 19 जून को बंगाल के पुरुलिया के रास्ते भागलपुर लाए गए 36 अर्द्धनिर्मित पिस्तौलें थाना मोजाहिदपुर की पुलिस ने एक बस से जब्त की थीं। 17 अगस्त को दो ट्रेनों हावड़ा- जमालपुर एक्सप्रेस और साहिबगंज-जमालपुर ट्रेन से रेल पुलिस ने छापा मारकर 190 अर्द्धनिर्मित पिस्टल बरामद की थी। अगस्त में ही पुलिस ने एक पैसेंजर ट्रेन से 5 विदेशी पिस्टल भी पकड़ी थी। बीते महीने भी सुल्तानगंज स्टेशन पर रुकी ट्रेन से 10 पिस्टल बरामद हुए थे। इसमें सज्जाद नाम के एक विकलांग व्यक्ति को रेल पुलिस ने गिरफ्तार किया था जो हथियारों की खेप के लिए कुरियर का काम करता है। उसने कबूल किया है कि हरेक खेप के बदले तस्कर उसे 4000 रुपए देते हैं। यह साफ है कि ये तमाम हथियार फिनिशिंग के लिए मुंगेर लाए जा रहे थे।

जानकार बताते हैं कि बिहार सरकार के गृह विभाग ने हथियारों की तस्करी रोकने के लिए एसटीएफ को भी लगाया है। एसटीएफ हथियार भी जब्त कर रही है फिर भी तस्करी का धंधा जोरों पर है। आसपास चुनाव को नजदीक देख धंधे में अचानक तेजी आ जाती है। इस धंधे में नोटबंदी का असर दूर-दूर तक नज़र नहीं आ रहा है। उत्तर प्रदेश में चुनाव देख इसकी तैयारी राजनेताओं के गुर्गों ने शायद पहले ही कर ली थी, शायद यही वजह है कि हाल के दिनों में इतनी संख्या में हथियार पकड़े गए हैं। इसके अलावा नक्सली भी मुंगेर में बने हथियार खपाने में आगे हैं। दरअसल, बंगाल के वर्दवान, मुर्शिदाबाद और आसनसोल से अर्द्धनिर्मित पिस्तौलें विदेशी चमक देने के लिए मुंगेर लाई जाती है। और मुंगेर में फिनिशिंग टच पाने के बाद इन हथियारों को खरीददार हाथोंहाथ ले लेता है। जानकार बताते हैं कि इन हथियारों की मांग असम, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बंगाल में ज्यादा है।