उत्तर प्रदेश के ‘समाजवादी’ कुनबे में जारी घमासान में संख्याबल के मामले में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का पलड़ा भारी होने के बीच इस झगड़े की मुख्य वजह बताये जा रहे सपा के राज्यसभा सदस्य अमर सिंह ने शुक्रवार (6 जनवरी) को कहा कि संख्या या सत्ता से किसी की हैसियत नहीं बनती। सिंह ने यहां संवाददाताओं से कहा कि वह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि वह अखिलेश की उन्नति में बाधक नहीं हैं। वह पार्टी के दोनों धड़ों में समझौते की राह निकाले जाने की हिमायत करते हैं। उन्होंने किसी का नाम लिये बगैर आरोप लगाया कि पार्टी में जो कुछ हो रहा है, उसकी वजह वह नहीं, बल्कि अखिलेश का एक प्रबल समर्थक है। सपा के चुनाव निशान साइकिल पर कब्जे की लड़ाई में पार्टी के 212 विधायकों के मुख्यमंत्री के पक्ष में शपथपत्र पर दस्तखत किये जाने के अखिलेश गुट के दावे के बीच सिंह ने कहा ‘मुलायम सिंह अकेले और बेहैसियत हैं, यह सुनने की क्षमता मुझमें नहीं है। हैसियत संख्या या सत्ता से नहीं होती, वह व्यक्तित्व और कृतित्व से होती है। हैसियत पूर्णमासी का चांद नहीं है।’
सिंह ने अखिलेश पर तंज करते हुए कहा कि जहां तक चोट का सवाल है तो वह बाहर से नहीं मिलती। अपनों से लड़ना बहुत मुश्किल होता है। मिट्टी को कभी खुद को रूप देने वाले कुम्हार की स्मृति नहीं भूलनी चाहिये। सपा महासचिव ने कहा, ‘शिवपाल के साथी होने के कारण जो लोग अखिलेश की नजर में दागी थे, उन सबने मुख्यमंत्री आवास पर जाकर शपथपत्र दे दिये तो वे सब उज्ज्वल हो गये, सफेदी की चमकार हो गयी। अंसारी बंधु उज्ज्वल हो गये। सब सत्यम शिवम सुन्दरम हो गये।’ सिंह ने कहा ‘‘राजनीति बड़ी क्रूर और निर्मम है। इसमें किसी के लिये खड़ा होना अपराध है। शिवपाल ने यही अपराध किया है।’
उन्होंने सपा के राज्यसभा सदस्य किरणमय नंदा की तरफ इशारा करते हुए कहा ‘पीड़ा के साथ कहना चाहता हूं। पार्टी के एक वरिष्ठ उपाध्यक्ष हैं, ठीक से हिन्दी नहीं बोल पाते। कहते हैं कि अमर सिंह उत्तर प्रदेश में व्यापार करने के लिये आया है। मैंने एक कौड़ी का ठेका पट्टा लिया हो, ट्रांसफर-पोस्टिंग का काम किया हो तो…आपको विनम्र चुनौती है, इसकी जांच करा लें।’ सिंह ने सपा राज्यसभा सदस्य नरेश अग्रवाल पर कटाक्ष करते हुए बिना नाम लिये कहा ‘वह भाजपा सरकार में काबीना मंत्री रहे। कांग्रेस और बसपा में भी रहे। वर्तमान में अखिलेश के साथ हैं। वह मुझे भाजपा का एजेंट कह रहे हैं। मेरे जैसा व्यक्ति अल्पांश तरीके से किसी के साथ नहीं रहता। अगर रहता है तो पूरी तरह रहता है। कोई भी विचारधारा, जिसमें मेरा समन्वय होगा, उसमें मैं समाहित हो जाता हूं। चोर दरवाजे से प्रविष्ट होकर राजनीति करने की प्रवृत्ति मेरी नहीं है।’

