पश्चिमी उत्तर प्रदेश का नौगांवा सादात विधानसभा कभी अमरोहा विधानसभा का हिस्सा था। 2008 में इस इलाके को अलग विधानसभा क्षेत्र बनाया गया। 2012 में इस मुस्लिम बहुल विधान सभा से समाजवादी पार्टी के अशफाक अली खान को जीत मिली। अशफाक इस बार भी चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन राष्ट्रीय लोक दल के टिकट पर। समाजवादी पार्टी ने इस बार जावेद अब्बास को अपना उम्मीदवार चुना है। वहीं बीजेपी से चेतन चौहान और बीएसपी से जयदेव चुनावी मैदान में हैं। 2012 के चुनाव में यहां का कुल वोटिंग फीसद 72.57 रहा था। 2012 में कुल वोटर संख्या 2,79,052 की थी, जिसमें से 2,02,510 लोगों ने मतदान किया था। वहीं अमरोहा की कुल आबादी 13 लाख से ज्यादा की है जिसमें 17 फीसदी अनुसूचित जाति के लोग हैं। इस क्षेत्र में वोटिंग 15 फरवरी को यानी दूसरे चरण में होनी है।
पार्टियों की स्थिति है ?
नौगांवा सादात विधान सभा के गठन के बाद पहला चुनाव समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार ने जीता था लेकिन जीत का अंतर सिर्फ 3662 वोटों का रहा। हालांकि अब स्थानीय लोगों की बातों से लग रहा है क्षेत्र में समाजवादी पार्टी की पकड़ पहले से मजबूत हुई है। जनसत्ता ने जिन लोगों से बात की उनमें से ज्यादातर ने कहा कि वो समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार जावेद अब्बास को ही वोट देंगे। क्षेत्र के मौजूदा विधायक अशफाक अली खान सपा से 2012 का चुनाव जीते थे लेकिन वोटर उनकी जगह पर पार्टी को तरजीह देते नजर आ रहे हैं। वहीं बीजेपी की स्थिति अच्छी नजर नहीं आ रही। 2012 के चुनाव में भी बीजेपी को सिर्फ 7.3 फीसद मत मिले थे। बीएसपी की बात करें तो नौगांवा सादात भले ही नई विधान सभा हो लेकिन अमरोहा से भी कभी बीएसपी का कोई उम्मीदवार अब तक विधानसभा नहीं पहुंचा है।
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विकास हुआ है…
क्षेत्र के कई लोगों का दावा है कि अलग विधानसभा बनते ही विकास की स्थिति बेहतर हुई है। कई लोगों ने जानकारी दी है कि अलग विधानसभा बनने से काफी फायदा हुआ है। पहले लोगों को अमरोहा जाना पड़ता था लेकिन क्षेत्र अलग होने से तहसील अलग बनी है जिससे सभी जरूरी काम क्षेत्र में ही पूरे हो जाते हैं। लोगों का दावा है कि इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार हुआ है। कई जगह पर सड़कों की स्थिति सुधरी है, स्ट्रीट लैंप्स लगे हैं और नया स्वास्थ्य केंद्र बना जिसकी स्थिति भी अच्छी है। इसके अलावा नगर पंचायत कार्यालय भी बनाया गया है। हालांकि क्षेत्र में शिक्षा की बात करें तो स्थिति ठीक नहीं है। क्षेत्र में बस एक प्राथमिक स्कूल है और सेकेंड्री स्कूलों की तादाद बहुत कम है। वहीं उच्च शिक्षा के लिए आज भी लोगों को अमरोहा या मुरादाबाद जाने की जरूरत महसूस होती है।
विकास की साइकिल दलितों तक नहीं पहुंची- नौगांवा सादात में वाल्मीकि समाज की अच्छी खासी आबादी है। वाल्मीकि इलाके के लोगों का दावा है कि नौगांवा सादात में उनके लिए कोई बदलाव या सुधार नहीं हुआ है। मोहल्ला बुध बाजार में वाल्मीकि समाज की कॉलोनी है जिसकी स्थिति अच्छी नहीं है। इलाके के लोगों का दावा कि उन्हें किसी भी तरह के योजना के लाभ नहीं मिल पाए हैं चाहे वह केंद्र की योजना हो या फिर राज्य सरकार की। वहीं कॉलोनी की सड़कें और साफ-सफाई की बात करें तो स्थिति बेहद चिंताजनक है। इसके अलावा गन्ना किसानों की स्थिति भी क्षेत्र में अच्छी नहीं है।
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