कन्नौज से हाल के दिनों में सामने आई सबसे बड़ी कहानियों में से एक है दो इत्र व्यापारियों समाजवादी पार्टी के एमएलसी पुष्पराज जैन “पम्पी” और पीयूष जैन पर छापेमारी। इस चुनावी मौसम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी “इत्र वाले मित्र” लाइन के साथ समाजवादी पार्टी पर ताना मार रहे हैं। हालांकि इत्र व्यापारियों पर हुए रेड कन्नौज में ज्यादा चर्चा का विषय नहीं है और वहां के लोग इसे सिर्फ मीडिया के लिए एक कहानी बताते हैं।

कन्नौज के बड़ा बाजार में गौरी सुगंध नाम की दुकान पर बैठे निशीश तिवारी और नदीम चौथी पीढ़ी के इत्र व्यापारी और दोस्त हैं। दोनों एक साथ बैठते हैं और घंटों बातचीत करते हैं। हालांकि जैसे ही चुनाव को लेकर कोई बातचीत होती है तो नदीम इसमें शामिल होने से साफ़ मना कर देते हैं और कहते हैं कि उन्हें राजनीति पर चर्चा नहीं करनी है। हालांकि निशीश तिवारी कहते हैं कि मैं निश्चित रूप से भाजपा को वोट दूंगा क्योंकि एक विशेष समुदाय और पार्टी के गुंडों पर लगाम लगाई गई है। यह सभी जानते हैं।

अपनी दुकान मोहम्मद दाऊद याकूब परफ्यूम पर वापस आने के बाद नदीम कहते हैं कि मुझे यह समझ में नहीं आता कि लोगों ने सपा सरकार को बाहर कर दिया। जिसने राज्य और हमारे क्षेत्र के लिए इतना विकास किया। लोग केवल धर्म की राजनीति को पसंद करते हैं।

इत्र व्यापार का हब माना जाने वाला बड़ा बाजार कन्नौज सदर विधानसभा के अंतर्गत आता है और यह एक सुरक्षित सीट है। यहां से भाजपा ने पूर्व आईपीएस अधिकारी असीम अरुण को मैदान में उतारा है। असीम अरुण ने बीते 8 जनवरी को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली और भाजपा में शामिल हो गए। वहीं सपा ने अपने मौजूदा विधायक अनिल कुमार दोहरे को टिकट दिया है। अनिल दोहरे तीन बार इस सीट से विधायक रहे हैं। बसपा ने इस सीट से समरजीत सिंह पर दांव लगाया है।

सदर सीट कन्नौज संसदीय सीट के अंतर्गत आती है। इस सीट पर लगभग 70,000 दलित, 65,000 मुस्लिम, 35,000 यादव वोटर हैं। साथ ही इस सीट पर लगभग 65,000 गैर-यादव ओबीसी वोटर भी हैं जिसमें मुख्य तौर पर पाल, लोधी और कुशवाहा शामिल हैं। वहीं करीब 40000 ब्राह्मण और 10000 ठाकुर भी इस सीट पर हैं। अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव इस लोकसभा सीट से 2014 में सांसद चुनी गईं थी लेकिन वह 2019 में वह बीजेपी के सुब्रत पाठक से चुनाव हार गईं। कन्नौज में जहां गैर यादव और अगड़ी जातियों का समर्थन भाजपा को है तो वहीं यादव और मुस्लिम समुदाय पर सपा की अच्छी पकड़ है। इसलिए 70 हजार दलित मतदाता इस सीट पर निर्णायक भूमिका में रहेंगे। 20 फ़रवरी को यहां तीसरे चरण में विधानसभा चुनाव होंगे।

हालांकि भाजपा की ओर से उतारे गए असीम अरुण क्षेत्र के लिए नए हैं लेकिन उन्हें उम्मीद है कि आईपीएस के रूप में दी गई उनकी सेवाएं यहां भी मदद करेंगी। हमारे सहयोगी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में असीम अरुण ने कहा कि भाजपा ने सुरक्षा, सम्मान और विकास के लिए काम किया है। यहां हर चीज धरातल पर देखने को मिलती है। मुझे राजनीति का कोई अनुभव नहीं है, लेकिन प्रशासनिक अनुभव है। सपा और भाजपा में फर्क साफ है। उनकी सरकार और हमारी सरकार में भी काफी अंतर रहा है।

अरुण को यह भी उम्मीद है कि मौजूदा विधायक के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी भी उनकी मदद करेगा। क्योंकि मौजूदा विधायक और इस बार सपा के उम्मीदवार अनिल दोहरे पर पांच साल तक क्षेत्र से गायब रहने का आरोप है।

बीते 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा के अनिल दोहरे ने भाजपा के बनवारी लाल दोहरे को 2,454 वोटों से हराया था। हालांकि कई लोग यह भी मानते हैं कि इस बार बसपा उम्मीदवार पर भी सबकी निगाहें होंगी और यह देखेंगे कि क्या वे दोनों के विपक्षी वोटों को बांट सकते हैं?