उत्तर प्रदेश में 5 चरणों के चुनाव संपन्न हो चुके हैं और छठे-सातवें चरण का मतदान बाकी हैं। छठे और सातवें चरण में उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में चुनाव होगा। पुर्वांचल में समाजवादी पार्टी और बीजेपी के बीच कांटे का मुकाबला होने की उम्मीद है। पूर्वांचल में भाजपा और सपा के गठबंधन साथी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। सपा ने ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के साथ गठबंधन किया है। वहीं बीजेपी ने अपना दल (सोनेलाल) और निषाद पार्टी के साथ गठबंधन किया है।

ओपी राजभर सपा के साथ: 2017 में बीजेपी के सहयोगी रहे ओमप्रकाश राजभर 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ हैं। ओपी राजभर ने दावा किया है कि इस बार सपा गठबंधन भारी बहुमत से चुनाव जीतेगा। राजभर ने कई बार अपने बयानों में कहा है कि गाजीपुर, बलिया, मऊ, आजमगगढ़, जौनपुर में बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिलेगी। साथ ही उन्होंने दावा किया है कि वाराणसी की कुछ सीटों पर भी बीजेपी को सपा गठबंधन से हार का सामना करना पड़ेगा।

वाराणसी की शिवपुर विधानसभा सीट से ओपी राजभर के बेटे मैदान में: बनारस जिले की शिवपुर विधानसभा सीट से ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर सुभासपा के टिकट पर मैदान में हैं। जबकि बीजेपी ने योगी सरकार में मंत्री अनिल राजभर पर एक बार फिर से दांव खेला है। अनिल राजभर वर्तमान में शिवपुर विधानसभा सीट से विधायक भी हैं।

अरविन्द राजभर ने न्यूज 18 से बातचीत के दौरान कहा कि, “एक लोडर को हराने के लिए एक नेता की जरूरत नहीं है। एक नेता का शिष्य ही काफी है। हमारे यहां लोडर मिनिस्टर हैं, उन्हें पहले मुझसे लड़ना चाहिए और फिर किसी नेता से लड़ने के बारे में सोचना चाहिए।”

बीजेपी से अनिल राजभर मैदान में: वाराणसी विधानसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार के रूप में अनिल राजभर मैदान में है। अनिल राजभर ने न्यूज़ 18 से बातचीत के दौरान कहा कि, “10 मार्च को सबको पता चल जाएगा कि असली राजभरों का नेता कौन है? अच्छा होता अगर ओमप्रकाश राजभर खुद मेरे खिलाफ चुनाव लड़ते, लेकिन मुझे नहीं पता कि उन्होंने अपने बेटे को बलि का बकरा क्यों बनाया?”

जातीय समीकरण: अगर हम वाराणसी जिले की शिवपुर विधानसभा सीट की बात करें तो यहां पर राजभर मतदाता निर्णायक भूमिका में रहते हैं। शिवपुर विधानसभा सीट पर मौर्या 85 हजार, राजभर 85 हजार, पटेल 45 हजार, ठाकुर 30 हजार, ब्राह्मण 20 हजार, यादव 18 हजार और दलित मतदाता 20 हजार हैं।