तेलंगाना चुनाव की 119 सीटों पर आज यानी कि गुरुवार को वोटिंग होने जा रही है। दक्षिण के इस राज्य में बीआरएस और कांग्रेस के बीच में मुख्य मुकाबला हर बार से रहा है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी भी पूरी ताकत के साथ जमीन पर इस बार उतरी है। मुस्लिम आरक्षण खत्म करने से लेकर हैदराबाद को भाग्यनगर बनाने तक फैसलों ने जमीन पर कुछ समीकरण बदलने का काम जरूर किया है।
सभी पार्टियों के लिए ‘उम्मीद’ का चुनाव
दूसरी तरफ मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव एक बार फिर खुद ही अपनी पार्टी की तकदीर तय करने के लिए जमीन पर धुंआधार प्रचार करते देखे गए। उनकी योजनाएं अपनी तरफ रहीं, लेकिन जिस ऊर्जा के साथ उन्होंने जनता के बीच अपनी सभाएं की, माना गया कि सीएम एक बार फिर जीत की हैट्रिक लगाने की पूरी तरह तैयार हैं। वैसे इस चुनाव में कांग्रेस को लेकर भी जानकार काफी उम्मीद मान रहे हैं। कहने को ये पार्टी पिछले 10 सालों से सत्ता से दूर चल रही है, लेकिन इस बार ए रेवंत रेड्डी जैसे चेहरे को आगे बड़ा सियासी दांव चलने का काम किया गया है। अब ये दांव कितने सफल रहे हैं, इसका फैसला आज होने जा रहा है।
वोटिंग के लिए क्या तैयारी?
तेलंगाना में सुबह सात बजे से वोटिंग शुरू हो जाएगी और शाम को 5 बजे तक चलने वाली है। कुछ हिंसक प्रभावित इलाकों में वोटिंग को एक घंटा पहले चार पहले ही समाप्त कर दिया जाएगा। यहां ये समझना जरूरी है कि तेलंगाना में चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो जाए, इसलिए कुल 35,655 मतदान केंद्र बनाए गए हैं और वहीं राज्य में वोट करने वालों की आबादी 3.26 करोड़ है। कई सीटों पर महिलाएं भी निर्णायक भूमिका निभाने जा रही हैं जिन्हें हर पार्टी अपने पाले में लाने की कोशिश में लगी है।
किसका किस पार्टी से गठबंधन?
इस बार के चुनाव में केसीआर की पार्टी ने किसी के साथ कोई गठबंधन नहीं किया है और सभी 119 सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए गए हैं। वहीं कांग्रेस खुद 118 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और उसकी तरफ से एक सीट भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) को दी गई है। बीजेपी की बात करें तो वो खुद 111 सीटों पर अपनी किस्मत आजमा रही है, वहीं आठ सीटें पवन कल्याण की पार्टी के लिए छोड़ दी गई हैं। वैसे इस चुनाव कई सीटों पर दिग्गजों के बीच में भी दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है।
तेलंगाना की बड़ी सीटें जहां मुकाबला कड़ा
राज्य के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव दो सीटों चुनाव लड़ रहे हैं। गजवेल से तो वे पहले से ही विधायक हैं, इस बार कामारेड्डी से भी वे अपनी किस्तम आजमा रहे हैं। अब गजवेल से बीजेपी ने अपने चुनाव अभियान अध्यक्ष एटाला राजेंदर को उतारकर मुकाबले को कड़ा बना दिया है। वहीं कामारेड्डी से उन्हें कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी से मुकाबला करना है। वैसे ओवैसी की पार्टी ने भी 9 क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतारे हैं।
इस बार सभी पार्टियों के घोषणा पत्र भी जमीन पर समीकरण बदलने का दम रखते हैं। एक तरफ बीजेपी ने मुफ्त राम मंदिर यात्रा से लेकर मुस्लिम आरक्षण खत्म करने जैसे वादे किए हैं, इसके साथ-साथ एक ओबीसी वर्ग का मुख्यमंत्री भी देने की बात हुई है। बीआरएस की बात करें तो उसने एक बार फिर अपनी किसानों और महिलाओं के लिए चल रही कल्याणकारी योजनाओं पर फोकस किया है, कांगेस के शासन की पुरानी विफलातों का भी लगातार जिक्र हुआ है। कांग्रेस ने इस बार अपनी 6 गारंटियां, केसीआर के भ्रष्टाचार और खड़गे-राहुल गांधी जैसे चेहरों पर भरोसा जताया है।
केसीआर की चुनौती ज्यादा बड़ी क्यों?
वैसे इस चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी को अपनी उम्मीद ज्यादा इसलिए दिखाई दे रही है क्योंकि केसीआर की पार्टी अपने सबसे मजबूत गढ़ नॉर्थ तेलंगाना में ही कुछ कमजोर बताई चा रही है। पिछली बार नॉर्थ तेलंगाना के ही करीमनगर, मेडक, निजामाबाद जैसे जिलों के दम पर बीआरएस को बड़ी जीत मिली थी, लेकिन इस बार कुछ नाराजगी बताई जा रही है। दूसरी तरफ दक्षिण तेलंगाना तो पहले से ही वर्तमान सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाता है। इसी वजह से दोनों ही हिस्सों में दिख रही नाराजगी कांग्रेस और बीजेपी के लिए उम्मीद की नई किरण है।