देश की कई लोकसभा सीटों का चरित्र उस सीट पर लड़ने वाले उम्मीदवारों के कद के हिसाब से तय होता रहा है। नई दिल्ली सीट उन सीटों में शामिल है जो स्थायी रूप से वीआइपी सीट मानी जाती है। देश पर राज करने वाले नेता और अधिकारी ही नहीं देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश आदि के मतों से चुने जाने वाले जनप्रतिनिधि को तो सही मायने में वीआइपी कहना ही पड़ेगा। दिल्ली करीब चार सौ गांवों का शहर है। आधे से ज्यादा गांव दिल्ली शहर में विलीन हो गए। बाहरी दिल्ली और हरियाणा की सीमा पर बसे करीब डेढ़ सौ गांव अभी भी ऐसे बचे हैं, जहां अभी खेती होती है। दिल्ली के शहरीकृत इलाकों के गांवों में करीब दर्जन भर गांवों के नाम के आगे सराय लगा हुआ है। माना जाता है, ये सभी गांव विभिन्न लड़ाइयों के दौरान सेना के सराय (कैंप) के तौर पर बसाए गए होंगे। वैसे इसके दूसरे कारण भी मानने वालों के अलग तर्क हैं। देश की संसद, राष्ट्रपति भवन, मंत्रियों सांसदों, आला अफसरों के रिहायशी इलाकों वाला यह क्षेत्र देश के सबसे महंगे बाजार कनॉट प्लेस (राजीव चौक), खान मार्केट, लाजपत नगर, सरोजनी नगर, करोल बाग, साउथ एक्सटेंशन आदि में खरीददारी के लिए देसी विदेशी रईसों को न्योता देता रहा है।
जब से लोकसभा के चुनाव हुए नई दिल्ली सीट मौजूद रही। यह अलग बात है कि पहले की नई दिल्ली सीट छोटी थी और उसमें ज्यादातर सरकारी कर्मचारी, व्यापारी, कुछ गांव और पाकिस्तान से विस्थापित होकर आए पंजाब मूल के लोग थे। इस सीट का चरित्र अखिल भारतीय होने के कारण ही मशहूर स्वाधीनता सेनानी सुचेता कृपलानी किसान मजदूर प्रजा पार्टी के टिकट पर 1952 में पहली सांसद बनीं। दूसरी बार, वे कांग्रेस के टिकट पर 1957 में सांसद बनीं लेकिन बीच में उनके सीट छोड़ने से हुए उप चुनाव में जनसंघ के अध्यक्ष बलराज मधोक सांसद बने। बाद में सुचेता कृपलानी उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं। उसी तरह उप चुनाव जीतने से पहले दिग्गज नेता बलराज मधोक भी दो बार चुनाव हारे। एक बार अटल बिहारी वाजपेयी ने कांग्रेस के सीएम स्टीफन को हराया तो एक बार कांग्रेस सरकार में रक्षा मंत्री रहे केसी पंत चुनाव जीते। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने आम आदमी पार्टी (आप) के आशीष खेतान को 162708 मतों के अंतर से पराजित किया। कांग्रेस के अजय माकन तीसरे नंबर पर रहे।
इस सीट का इलाका कई बार बदला। 2008 में आखिरी परिसीमन होने से पहले नई दिल्ली लोकसभा सीट भले ही पांच विधानसभाओं की सीट थीं लेकिन उनमें मतदाता तीन लाख के करीब थे। परिसीमन के बाद दिल्ली की 70 विधानसभाओं को 2001 की जनगणना के हिसाब से करीब दो लाख की आबादी पर एक विधानसभा और बीस लाख की आबादी पर लोकसभा सीट बनाना तय किया गया। जब सीटें बनीं तब तक आबादी का अनुपात बदल गया था, लेकिन नई दिल्ली में नई आबादी के लिए जगह न होने के कारण ज्यादा आबादी नहीं बढ़ी।
अभी 15,48,629 मतदाता इस लोकसभा सीट पर हैं। दिल्ली की अन्य लोकसभा सीटों के तरह इस सीट के अंतर्गत भी विधानसभा की दस सीटें हैं। सभी दस सीटें आम आदमी पार्टी के पास हैं। निगम की आठ सीटों पर भाजपा का बहुमत है। नए परिसीमन में पुराने करोल बाग सीट को खत्म करके उसकी तीन सीटें नई दिल्ली में, पुरानी दक्षिणी दिल्ली सीट की चार सीटें नई दिल्ली में और सदर की एक सीट मिलाकर पुरानी नई दिल्ली के बड़े हिस्से को एक करके नई दिल्ली विधानसभा सीट बनाई गई। परिसीमन में पुरानी सीटों की काट-छांट की गई और नई सीट बनाई गई लेकिन संयोग से नई दिल्ली सीट का मूल स्वरूप नहीं बदला। सही मायने में दिल्ली के भूगोल की पहचान करवाने वाला इलाका भी नई दिल्ली बन गया है।
अभी भी सबसे ज्यादा पंजाबी मूल के लोग इस सीट पर हैं। करीब 19 फीसद पंजाबी, 18 फीसद दलित, 9 फीसद वैश्य, 15 फीसद अन्य पिछड़ा वर्ग, चार फीसद गूर्जर, चार फीसद मुसलिम, चार फीसद सिख इस सीट पर हैं। दिल्ली का भूगोल बदलने के हिसाब से करीब दस फीसद पूर्वांचल मूल के लोग हैं। सरकारी कर्मचारियों और व्यवसायियों पर ज्यादा फोकस करके नई दिल्ली का चुनाव लड़ा जाता रहा है। इसीलिए पूर्व केंद्रीय मंत्री और इस सीट से परिसीमन से पहले और बाद में दो बार सांसद रहे अजय माकन बताते हैं कि 2006 में सीलिंग शुरू होने पर उन्होंने बतौर शहरी विकास मंत्री तीन हजार सड़कों को मिश्रित भूमि का घोषित करके व्यवसायियों को सीलिंग से निजात दिलवाई लेकिन मौजूदा सरकार ने दोबारा सीलिंग शुरू होने पर सीलिंग से निजात दिलाने के लिए कोई पहल नहीं की। इस सीट में आने वाले 35 गांव अब पूरी तरह से गांव नहां रहे वे शहरीकृत गांव बन गए हैं। भवन उपनियम में बदलाव करवाकर उन गांवों में व्यवसाय की छूट दिलवाई और भवन निर्माण (एफएआर) में काफी छूट दिलवाई।
मौजूदा सांसद मीनाक्षी लेखी कहती हैं कि बहुशासन प्रणाली में कई बड़े काम दिल्ली सरकार के सहयोग न मिलने से रुके पड़े हैं। उन्होंने इलाके की साफ-सफाई पर ज्यादा ध्यान दिया। हर मंदिर में फूलों से खाद बनाने वाले संयंत्र लगवाए। बाकी काम सामान्य तरीके से होते रहे और अपने सांसद निधि से ज्यादा पैसे के काम करवाए। पूरे इलाके में 52 सार्वजनिक पुस्तकालय शुरू करवाए। पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर आए ‘आप’ के आशीष खेतान अब राजनीति में सक्रिय नहीं हैं। इसलिए ‘आप’ ने बृजेश गोयल को नई दिल्ली सीट से उम्मीदवार बनाया है।
परिसीमन से पहले तो इस इलाके का मतदान औसत सबसे कम रहता था। अब परिसीमन के बाद पिछले दो चुनाव से मतदान भी बाकी दिल्ली के जैसा होने लगा। नई दिल्ली इलाके से झुग्गी हटवाने का श्रेय पूर्व केंद्रीय मंत्री जगमोहन को जाता है लेकिन नई दिल्ली के वीआइपी इलाके से झुग्गी हटाकर उसे काफी दूर दिल्ली-हरियाणा की सीमा पर भिजवाने का खमियाजा उन्हें 2004 के चुनाव में उठाना पड़ा। उनके प्रतिद्वंदी उम्मीदवारों ने गाड़ियों में भर कर पुराने मतदाताओं को लाकर उनसे मतदान करवाया और उसके चलते जगमोहन पराजित हुए। बावजूद इसके वे झुग्गियां वापस नहीं लग पाई।
वादे जो किए
महिला सुरक्षा के लिए विभिन्न कदम उठाना
धार्मिक स्थलों के फूलों से खाद बनाना
पार्कों को सौंदर्यीकरण और ओपन जिम शुरू करना
सार्वजनिक पुस्तकालय शुरू कराना
वादे जो वफा न हुए
सभी शहरीकृत गांवों की सीवरेज प्रणाली पुरानी हो गई है। उनका सुधार नहीं हो पाया।
केंद्र की योजनाएं पूरी तरह लागू करने मे नाौकरशाही बाधा बनी
सरोजनी नगर के केंद्रीय विद्यालय मे बने शूटिंग रेंज जैसे कार्य विभागों के तालमेल न होने के कारण नहीं हो पाया
क्या रही शिकायतें
शहरीकृत गांवों मे पानी, सीवर की समस्या बनी रही, वीआइपी इलाका , फिर भी सड़कों पर जाम पहले से ज्यादा
करोलबाग में भीड़ कम करने की कोई योजना नहीं, पार्किंग की समस्या, नए फ्लाईओवर की योजना नहीं
केंद्र सरकार के अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या बढ़ाने से लेकर नए अस्पताल की कोई योजना नहीं
दावा
महत्त्वपूर्ण इलाके की सांसद होने के कारण मैंने दोहरी भूमिका निभाई। हर इलाके में नगर निगम, एनडीएमसी और छावनी बोर्ड के सहयोग से स्वच्छता को सर्वाधिक प्राथमिकता दिलाई। धार्मिक स्थानों में चढ़ाए गए फूलों से खाद बनाने की मशीन लगवाई। हर क्षेत्र में शौचालय और गांवों में सामुदायिक केंद्र बनवाए। सड़कों और फ्लाईओवर के अधूरे काम पूूरे करवाए। इलाकों का सौंदर्यीकरण किया गया। प्रधानमंत्री राहत कोष से तीन करोड़ रुपए गरीबों को दिलवाए। तीन हजार से ज्यादा वृद्ध, विधवा और दिव्यांगजनों को पेंशन दिलवाई। 52 सार्वजनिक पुस्तकालय शुरू करवाए। पार्क का सौंदर्यीकरण और ओपन जिम शुरू कराए। अनेक संस्थाओं में सौर ऊर्जा से युक्त बिजली उपलब्ध करवाई।
-मीनाक्षी लेखी, सांसद
विपक्ष के बोल
हमारे प्रयास से केंद्रीय कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग की सिफारिशें मिलीं। यूपीए सरकार ने सातवें वेतन आयोग की नींव डील दी थी। सातवें वेतन आयोग ने पहले मिली सहूलियतों को कम कर दिया। इस इलाके में सर्वाधिक सरकारी कर्मचारी रहते हैं। मौजूदा सरकार उनके साथ भी न्याय नहीं कर पाई। उसी तरह सीलिंग से बचाने के लिए जो संशोधन को आगे नहीं बढ़ाया। सांसद निधि का उपयोग तो करना ही होता है लेकिन नई दिल्ली क्षेत्र के हिसाब से कोई काम नहीं कराए। दूसरी सबसे बड़ी आबादी व्यापारी सीलिंग से परेशान रहे। शहरीकृत गांवों में कारोबार बढ़ाने या वहां के लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कोई ठोस काम नहीं हुए।
– अजय माकन, कांग्रेस नेता
