पंजाब में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में उतरने का ऐलान करने वाले किसान नेताओं को बड़ा झटका लगा है। भारतीय किसान यूनियन एकता (डकौंदा) और बीकेयू (लक्खोवाल) ने चुनाव लड़ने से इनकार दिया है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत ने बताया कि चुनाव लड़ने के लिए अलग संगठन बनाने वाले गुरनाम सिंह चढ़ूनी और बलवीर राजेवाल को एमएसपी कमेटी में जगह नहीं दी जाएगी।
किसान आंदोलन के स्थगित किए जाने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल किसान नेताओं ने अलग रास्ता अख्तियार कर लिया था। हाल ही में गुरनाम सिंह चढूनी ने राजनीतिक पार्टी के गठन का ऐलान किया था। किसान आंदोलन में भाग लेने वाले 22 संगठनों ने चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। चुनाव लड़ने वाले इन 22 संगठनों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा 15 जनवरी की मीटिंग में निर्णय लेगा। ये किसान नेता अब मोर्चे का हिस्सा नहीं होंगे।
किसान आंदोलन में शामिल 32 में से 22 किसान संगठनों ने पंजाब विधानसभा चुनाव में उतरने का ऐलान किया है। इन संगठनों ने संयुक्त समाज मोर्चा बनाया है, जिसके बैनर तले ये आगामी चुनाव लड़ेंगे। किसानों की नई पार्टी पंजाब की सभी 117 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसका नेतृत्व बलबीर सिंह राजेवाल करेंगे। पंजाब चुनाव के लिए राजेवाल को इन संगठनों ने सीएम का चेहरा घोषित किया है।
पहले, इन संगठनों ने दावा किया था कि भारतीय किसान यूनियन डकौंदा और लक्खोवाल का उनको समर्थन प्राप्त है। हालांकि, इन दोनों यूनियनों ने इससे इनकार कर दिया है। इन यूनियनों के समर्थन से इनकार करने के बाद चुनाव लड़ने का ऐलान करने वाले किसान संगठनों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
इस मामले पर भाकियू एकता डकौंदा के प्रदेश उपाध्यक्ष गुरदीप सिंह रामपुरा ने कहा कि वे न चुनाव लड़ेंगे और न इसके लिए किसी को समर्थन देंगे। बीकेयू लक्खोवाल के नेता अजमेर सिंह लक्खोवाल ने भी यही बात दोहराई है। उन्होंने कहा कि किसानों की कई मांगें अभी पूरी नहीं हुई हैं, ऐसे में राजनीतिक लड़ाई से इसमें परेशानी हो सकती है।
