लोकसभा चुनाव को लेकर दूसरे चरण की वोटिंग जारी है। इस बार बीजेपी ने खुद के लिए 370 से ज्यादा सीटें जीतने का टारगेट रखा हुआ है, वहीं कोशिश की जा रही है कि एनडीए के खाते में 400 से ज्यादा सीटें चली जाएं। अब जमीन पर जैसी स्थिति है, इस टारगेट तक पहुंचने के लिए बीजेपी को कई पहाड़ जैसी चुनौतियों से पार पाना पड़ेगा। वैसे पिछली बार तो दो चरणों की वोटिंग के बाद ही ये साफ हो चुका था कि देश में मोदी की लहर चल रही है।
अगर पिछले लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि पहले चरण की 102 सीटों में से एनडीए ने 49 सीटें जीत ली थीं, वहीं विपक्ष की खाते में 45 सीटें गई थीं। समझने वाली बात ये थी कि पहले चरण में दक्षिण की ज्यादा सीटें रहीं, इसी वजह से विपक्ष ने इतनी काटे की टक्कर दी। लेकिन दूसरे चरण में आते ही पासा पूरी तरह पलट गया था। 2019 में दूसरे चरण की 88 सीटों में से एनडीए ने 58 सीटें जीत ली थीं, वहीं अकेले बीजेपी ने ही 50 सीटों पर जीत का परचम लहराया था।
दूसरे चरण में पिछली बार कांग्रेस को सिर्फ 21 सीटें मिली थीं, वहीं अन्य के खाते में 9 सीटें गई थीं। ऐसे में कहा जा सकता है कि बीजेपी का पूरी तरह दबदबा था और इसी चरण ने पार्टी के लिए तब बढ़त बनाने का काम किया था। अब इस बार फिर दूसरे चरण में 88 सीटों पर वोटिंग हुई है, इसमें हिंदी पट्टी वाली कई सीटें शामिल हैं जहां पर बीजेपी परंपरागत रूप से मजबूत मानी जाती है। ऐसे में बीजेपी अपने पिछले प्रदर्शन या तो दोहराना चाहेगी, या फिर वो उससे बेहतर करने की भी कोशिश करेगी।
अगर पिछले लोकसभा चुनाव के लिहाज से देखें तो दो चरणों के बाद ही एनडीए ने 196 सीटों में से 107 सीटों पर जीत हासिल कर ली थी। लेकिन इस बार क्योंकि पहले चरण में काफी कम वोटिंग हुई है, जानकार मानते हैं कि जमीन पर बीजेपी के समीकरण भी बिगड़े हैं। बड़ी बात ये है कि जहां-जहां बीजेपी मजबूत है, वहां ज्यादा कम वोटिंग देखने को मिली है। इसी वजह से दूसरे चरण से पहले बीजेपी ने रणनीति बदलते हुए 400 पार के नारे को पूरी तरह दबा दिया, मोदी की गारंटी का कहीं जिक्र नहीं किया।