चुनावी मैदान में किरोड़ी लाल मीणा एक बार फिर से उतर आए हैं लेकिन इस बार वे बीजेपी के साथ है। 10 साल बाद फिर बीजेपी में लौटे इस कद्दावर नेता की साख का सवाल बन गई है महुआ विधानसभा सीट। इस सीट से किरोड़ी लाल मीणा की साख जुड़ गई है और बीजेपी के लिए यह सीट जीतना बेहद जरुरी हो गया है।

दरअसल दौसा जिले में लोकप्रिय मीणा नेता किरोड़ी मीणा की अच्छी खासी पैठ है। ऐसे में जब उन्होंने बीजेपी में वापसी की तो टिकट बंटवारे में भी सेंध अड़ा दी। दौसा जिले की महुआ विधानसभा सीट पर पहले से प्रचार कर रहे ओमप्रकाश हुड़ला की जगह किरोड़ी ने अपने भतीजे राजेंद्र मीणा को टिकट दिलवा दिया। हालांकि वसुंधरा चाहती थी की टिकट हुड़ला को मिले लेकिन किरोड़ी ने भतीजे को टिकट ना मिलने पर चुनाव प्रचार से पीछे हटने की धमकी दी जिससे वसुंधरा को झुकना पड़ा और टिकट किरोड़ी की मर्जी से राजेंद्र मीणा को मिल गया। टिकट दिलाने तक तो ठीक था लेकिन मामला यहां शांत नहीं हुआ। पार्टी से बागी होकर हुड़ला निर्दलीय उम्मीदवार बनकर चुनाव मैदान में उतर गए। इसी सीट से कांग्रेस के अजय बोहरा मैदान में हैं ऐसे में मामला और भी पेचिदा हो जाता है।

एक तरफ राजस्थान में लोग वसुंधरा सरकार से नाराज हैं और माहौल कांग्रेस के पक्ष में बना हुआ है। ऐसे में ओमप्रकाश हुड़ला जो इस चुनाव में महुआ सीट से बीजेपी के संभावित उम्मीदवार माने जा रहे थे उनके बागी होकर मैदान में आ डटने से बीजेपी को वोट कटने का डर बना हुआ है। गौरतलब है कि ओमप्रकाश हुड़ला पिछले विधानसभा चुनावों में भी यह सीट जीत चुके हैं जिसमें उन्होंने किरोड़ी की पत्नी गोलमा देवी को हराया था, जिसके बाद से दोनों नेताओं के रिश्ते तल्ख हैं। भतीजे के पक्ष में किरोड़ी जमकर प्रचार कर रहे हैं लेकिन इस बार टक्कर कांटे की है। ऐसे में देखना ये हैं कि किरोड़ी यह सीट बचा पाते हैं या नहीं।