राजस्थान में इस बार नई जनजातीय पार्टी चुनावी मैदान में है। ये पार्टी भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा सकती है। भारतीय ट्राइबल पार्टी Bharatiya Tribal Party (BTP) इस बार डूंगरपुर जिले की सभी चार सीटों समेत राजस्थान की 11 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इस पार्टी का गठन साल 2017 में छोटू भाई वसावा ने किया था। इस पार्टी को बनाने से पहले छोटू भाई बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी JDU के साथ जुड़े हुए थे। बीटीपी पार्टी का राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कई इलाकों में प्रभाव है। राजनीतिक पंडितों की माने तो बीटीपी राज्य की कई जनजातीय बहुल इलाकों में चुनाव लड़ रही है जिससे भाजपा और कांग्रेस पार्टी को नुकसान हो सकता है। बीटीपी इस बार दक्षिण राजस्थान के डूंगरपुर, बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ जैसे इलाकों में चुनाव लड़ रही है।
युवाओं के बीच लोकप्रिय है भारतीय ट्राइबल पार्टी –
डूंगरपुर की आबादी लगभग 14 लाख है। इसमें से 73 प्रतिशत आबादी आदिवासियों की है। आदिवासी लगभग तीन पार्टियों में बंटे हुए हैं। वहीं नॉन ट्राइबल वोट इस बार चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। संजय लोधा उदयपुर के मोहनलाल सुखाडिया कॉलेज में प्रोफेसर हैं। उनका कहना है कि ‘बीटीपी पार्टी युवाओं में काफी लोकप्रिय है, खासकर छात्रों के बीच.. मुझे लगता है कि ये पार्टी कई इलाकों में अपना प्रभाव दिखाएगी.. बीटीपी लंबे समय से अस्तित्व में नहीं है.. यहीं उनके खिलाफ जाता है।’
वेलाराम घोघरा बीटीपी के राजस्थान इकाई के हेड हैं। उनका कहना है कि ‘हम इसबार जीतेंगे.. जनजातियां इस बार सभी पार्टियों से नाराज हैं.. पिछले 70 सालों से उन्होंने उनके लिए कुछ नहीं किया है। हम जनजातियों को सशक्त करेंगे और इसलिए हम चुनाव लड़ रहे हैं।’ बता दें, साल 2013 में अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित आसपुर, चौरासी, डूंगरपुर और सागवाडा की सीटों पर बीजेपी का कब्जा था।
चारों सीटों पर होगी हमारी जीत- कांग्रेस
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ताराचंद भगोरा ने बीटीपी नेता के तमाम दावों को नकारते हुए कहा, ‘बीटीपी का जनजातियों के बीच कोई जनाधार नहीं है। इस इलाके में उनका सीमित जनाधार है.. हम डूंगरपुर की सभी चार सीटों पर बड़ी जीत हासिल करेंगे।’ वहीं बीजेपी के नेता सुदर्शन जैन का कहना है कि ‘बीटीपी हमें किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचा पाएगी। हम सभी चारों सीटों पर जीत हासिल करेंगे।’
बीटीपी की मुख्य मांगे संविधान के पांचवे शेड्यूल को लागू करवाना है। बीटीपी ने राज्य में चुनाव लड़ने का तब सोचा था जब उसकी छात्र संघ भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा ने डूंगरपुर के चार कॉलेजों में जीत हासिल की थी। भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा ने राज्य में कांग्रेस पार्टी की NSUI और RSS की अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को हराया था। वेलाराम घोघरा कहते हैं कि ‘छात्र संघ के चुनाव में जीत मिलने के बाद कई लोगों ने हमें चुनाव लड़ने के लिए कहा था.. जिसकी वजह से हमने छोटू भाई से संपर्क किया।’ घोघरा का कहना है कि हमने छोटू भाई को कहा है कि ‘हम ना तो कांग्रेस पार्टी और ना ही बीजेपी के साथ किसी तरह का गठबंधन करेंगे।’
गौरतलब है कि राजस्थान में फिलहाल बीजेपी की सरकार है। राज्य में सात दिसंबर को 199 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने वाले हैं और नतीजे 11 दिसंबर को आएंगे।