राजस्थान में कड़ी मशक्कत के बाद फिर से सत्ता में लौटने वाले अशोक गहलोत गहन मंथन के बाद एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री बने हैं। करीब चार दशक लंबे सियासी करियर में गहलोत ने राजस्थान और केंद्र में कई अहम भूमिकाएं निभाईं। उनके साथ सियासत के कई दिलचस्प किस्से भी जुड़े रहे। फिलहाल वे कांग्रेस संगठन के राष्ट्रीय महासचिव थे। संगठन बनाने में उन्हें माहिर माना जाता है। उन्हें राजस्थान की राजनीति का जादूगर भी कहा जाता है।
…ऐसा रहा शुरुआती करियर
जादूगरी के पारिवारिक पेशे से ताल्लुक रखने वाले गहलोत ने सियासत के मैदान में भी खूब जादू दिखाए। वे संजय गांधी के काफी करीबी माने जाते थे। 1977 में उन्हें अपने पहले ही चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। यह चुनाव उन्होंने सरदारपुरा सीट लड़ा था। जहां से वे अब भी विधायक चुने जाते हैं।
ऐसा रहा गहलोत का राजनीतिक करियर
– 1973 से 1979 तक एनएसयूआई की राजस्थान विंग के अध्यक्ष रहे।
– 1980 के मध्यावधि चुनाव में गहलोत जोधपुर से लोकसभा चुनाव लड़े और जीत हासिल की।
– इसके बाद 1984, 1991, 1996, 1998 में भी लोकसभा सांसद बने।
– इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में कई अहम विभागों के मंत्री बने।
– 1985 से 1989, 1994 से 1997 और 1997 से 1999 तक राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने।
– 1998 में सरदारपुरा विधानसभा से उपचुनाव में जीते और पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद 2008 और 2018 में वे फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बने।
– 2003, 2008, 2013 और 2018 में लगातार सरदारपुरा से विधायक बने।
