किराना दुकानदार खेम चंद तलवार का मानना है कि जब से मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने वहां से नामांकन भरा है, तब से हलके की राजनीतिक हवा पूरी तरह बदल गई है। जब से पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 की औपचारिक घोषणा हुई है तब से भदौड़ हलके में हवा का रुख बदलने लगा है। तभी से खेम चंद तलवार के कान खड़े हो गए हैं। हालांकि तलवार चार एकड़ जमीन के मालिक हैं जिस पर वे खेतीबाड़ी करते हैं, साथ ही उनकी एक छोटी-सी किराना की दुकान भी है। भदौड़ के मुख्य बाजार में अपनी किराना दुकान पर आने वाले ग्राहकों से राजनीतिक चर्चा में तलवार का मन खूब रमता है। उनका मानना है कि जब से मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने वहां से नामांकन भरा है, तब से हलके की राजनीतिक हवा पूरी तरह बदल गई है।
उन्होंने बताया, ‘इस बार कई समस्याएं हैं। जनवरी के आखिरी सप्ताह तक, ‘आप’ उम्मीदवार लाभ सिंह उगोके ने ही अपना यहां से परचा भरा था और तब वे चुनाव प्रचार में आगे भी चल रहे थे जहां हलकावासियों का हुजूम उनके साथ उमड़ पड़ता था। लेकिन जब से मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने नामांकन दाखिल किया है, तब से उगोके को भी मुकाबला कड़ा होता महसूस होने लगा है। लोग भले ही अभी यहां बदलाव की राजनीति पर चर्चा करते हों लेकिन चुनाव लड़ने वालों के नामों से उन्हें कुछ लेना-देना नहीं। पंजाब में वोट डाले जाने में अभी कुछ दिनों का समय है और नहीं पता कि आने वाले दिनों में हालात कितने बदल जाने वाले हैं।’
दूसरी ओर हलका भदौड़ में गांव धौला वासी कुलदीप सिंह का कहना है, ‘चन्नी यहां परचा भरने के लिए 31 जनवरी को यहां भदौड़ में आए थे। बाद में पांच फरवरी को उन्होंने यहां कई गांवों का दौरा किया था, जहां गांव पक्खो और ढिलवां में किसान संगठनों ने उनसे सवाल किए थे। हमारे लिए तो वे मात्र एक उम्मीदवार हैं। हम तो उनसे उनके दृष्टिकोण और पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की ओर से किए गए चुनावी वादों की बाबत सवाल पूछेंगे क्योंकि वे भी तो उसका ही हिस्सा हैं। वे 111 दिनों की सरकार का तर्क देकर नहीं बच सकते।’
हालांकि, चन्नी इलाके में केवल दो ही दिन के लिए आए थे और तब उनके साथ फरीदकोट से सांसद मोहम्मद सद्दीक, पूर्व आइएएस अधिकारी दरबाना सिंह गुरु, जिन्होंने हाल ही में शिअद छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा है, और यहां तक कि 2017 में आप की टिकट पर भदौड़ से ही विधानसभा चुनाव जीतने वाले पीरामल सिंह धौला भी मौजूद थे जिन्होंने कुछ महीने पहले ही दोबारा कांग्रेस का हाथ थामा है। और यह सब मुख्यमंत्री के लिए इलाके में काम करते आ रहे हैं।
गांव सुखपुरा मौड़ वासी गुरमीत सिंह के मुताबिक, ‘भदौड़ से पूर्व विधायक सद्दीक एक भलेमानस हैं और कस्बावासी उन्हें बड़ा प्यार भी करते हैं। शायद यही वजह है कि हलके में चन्नी की ओर से चुनाव प्रचार का जिम्मा भी अन्य कांग्रेस नेताओं के साथ उन्हें भी सौंपा गया है। हलके विच्च थोड़ी हवा तां बदली ऐ।’
हलका भदौड़ दरअसल, करीब 70 गांवों से मिलकर बना है जिसमें भदौड़ और तपा मंडी दो ही अहम कस्बे आते हैं। कस्बा भदौड़ वासी सुरजीत सिंह का कहना है, ‘मैं छोटा मोटा किसान हूं। बेशक यहां हलकावासी अब बदलाव की बात करने लगे हैं। ‘आप’ उम्मीदवार युवा हैं जिसे राजनीति का उतना तजुर्बा भी नहीं। शिरोमणि अकाली दल-शिअद प्रत्याशी सतनाम सिंह राही भी जानामाना चेहरा हैं जो भीड़ जुटाने में माहिर हैं। लेकिन चूंकि यहां सेअब मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भी खड़े हो गए हैं, ऐसे में उन्हें तरजीह मिलना स्वाभाविक है। यदि कांग्रेस फिर पंजाब में सत्ता में आती है तो भदौड़ प्रदेश को मुख्यमंत्री देने वाला हलका हो जाएगा। हो सकता है कि उस सूरत में हमारे पिछड़े इलाके में भी विकास की लहर चल पड़े।’
एक अन्य किसान एवं भाकियू- दकौंडा के सदस्य कुलवंत सिंह का कहना है, ‘सभी उम्मीदवारों को हमारे सवालों के जवाब देने होंगे, फिर भले ही वे किसी भी पार्टी से क्यों न आते हों। अभी तो यह भी पता नहीं कि पंजाब में कांग्रेस दोबारा सरकार भी बना पाती है या नहीं। वैसे भी सरकारें वादे ज्यादा करती हैं और फिर उन्हें पूरा करने में उन्हें उतना ही अधिक दर्द भी होता है। यही वजह है कि पंजाब में खेतीबाड़ी भी अब नुक्सान का सबब बनती जा रही है। चन्नी को कड़े इम्तिहान से गुजरना होगा और जनता के सवालों के जवाब भी उन्हें देने होंगे। विधानसभा चुनाव में जीत भी इस बार उन्हें इतनी आसानी से नसीब नहीं होने वाली।’