केंद्र की मोदी सरकार को सत्ते में रहते हुए दस साल पूरे होने को हैं। इस बीच लोकसभा चुनाव भी शुरू हो चुका है और बीजेपी तीसरी टर्म की मांग कर रही है। विकसित भारत का सपना दिखाकर जनता का आशीर्वाद लेने की कवायद दिख रही है। लेकिन जनता का वोट सिर्फ सपने दिखाकर नहीं मिलता है, उन सपनों को पूरा करने के लिए अपना रिपोर्ट कार्ड भी दिखाना जरूरी है। अब उसी रिपोर्ट कार्ड को दिखाने के लिए हम लेकर हाजिर है हिसाब जरूरी है कि छठी किश्त जहां बात होगी पीएम आवाज योजना की।
प्रधानमंत्री आवाज योजना की शुरुआत मोदी सरकार ने 1 अप्रैल 2016 को हुई थी। इस योजना के तहत गरीबों को पक्का आवाज देने की बात कही गई थी। इस योजना का एक हिस्सा पीएम आवाज योजना ग्रामीण था, वहीं दूसरा हिस्सा पीएम आवाज योजना शहरी रखा गया था। यानी कि पूरे देश में ही हर गरीब और गरीबी रेखा से नीचे चल रहे परिवार को पक्का आवास देने का वादा था।
मोदी सरकार की तरफ से तब कहा गया था कि 2022 तक सभी को अपना पक्का आवास मिल जाएगा, लेकिन बाद में डेडलाइन को दिसंबर 2024 तक के लिए बढ़ा दिया गया। इस योजना की खास बात ये है कि इसमें कोई एक टारगेट सेट नहीं किया गया है, बल्कि इसे डिमांड ड्रिवन पॉलिसी कहा गया है, यानी कि जितने आवास की डिमांड आएगी, उस हिसाब से निर्माण किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के खर्चे की बात करें तो 60 फीसदी केंद्र उठाता है, वहीं 40 फीसदी राज्यों को देखना होगा। पूर्वोत्तर के राज्य और पहाड़ी इलाकों में ये शेयर 90 बनाम 10 फीसदी का हो जाता है।
पीएम आवास योजना शहरी की बात की जाए तो 2015 से अभी तक 65.9% आवासों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। सरकार का आंकड़ा कहता है कि शहरी योजना के तहत अब तक एक करोड़ 18 लाख, 63 हजार 73 आवास सेंक्शन कर दिए गए हैं, वहीं एक करोड़ 13 लाख, 42 हजार 815 घर ग्राउंडेंड हो चुके हैं, वहीं 78 लाख 26 हजार 765 आवासों का निर्माण पूरा भी हुआ है। अगर टॉप 3 राज्यों की बात करें तो उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 1 करोड़ 2 लाख 87 हजार 307 घरों का निर्माण हुआ है, वहीं गुजरात 8 लाख, 80 हजार 209 आवासों के साथ दूसरे नंबर पर है। तीसरे नंबर पर आंध्र प्रदेश चल रहा है जहां पर 8 लाख 8 हजार 278 आवास बनाए गए हैं।
इस साल के बजट में सरकार ने बताया है कि आवास योजना के शुरु होने के बाद से अभी तक 25.5 मिलियन घर बनाए गए हैं। अब सरकार ने इससे भी बड़ा टारगेट सेट कर लिया है, कहा गया है कि अगले पांच सालों में 20 मिलियन आवास और बनाए जाएंगे। अब ये सारे आंकड़े अपनी जगह है, लेकिन इससे इतर एक सच्चाई ये भी है कि जो आवास बनाए गए हैं, कई ऐसे हैं जहां पर बेसिक सुविधाएं तक नहीं दी जा रही हैं। इसके ऊपर सरकार की ही रिपोर्ट कहती है कि शहरी इलाकों में अभी 2 करोड़ घरों की कमी चल रही है, लेकिन उसकी तुलना में सिर्फ 1.19 करोड़ घरों को ही सेंक्शन किया गया है।
ऐसे में सरकार की इस योजना को सफल तो कहा जाएगा, लेकिन इसने अपने टारगेट अभी तक अचीव नहीं किए हैं। इसके ऊपर कुछ राज्य सरकारों ने ज्यादा खराब प्रदर्शन किया है, जिस वजह से असर इस योजना पर पड़ा है। अब सरकार ने एक बार फिर गरीबों के लिए आवास बनाने का ऐलान किया है। अच्छी बात ये है कि सरकार इसे अपनी उपलब्धि के तौर पर देख रही है, खुद पीएम मोदी लोगों का गृह प्रवेश तक करवा रहे हैं, पिछले साल ही उन्होंने एक लाभार्थी के घर पर चाय भी पी थी। ऐसे में ये योजना जमीन पर अपना असर दिखा रही है।
