पिछले दस सालों में मोदी सरकार ने नए स्टार्ट अप्स को अपनी नीतियों के केंद्र में रखा है। छोटे उद्यमियों को बढ़ावा देने से लेकर उन्हें आसानी के कर्ज दिलवाने तक, सरकार ने कई परियोजनाएं शुरू कीं। ऐसी ही एक योजना का नाम है मुद्रा योजना जिसके जरिए आसानी से छोटे बिजनेसमेन, स्टार्ट अप, दुकानदारों को कर्ज मुहैया करवाया जाता है। अब जब चुनाव नजदीक है और सरकार फिर सत्ता में आने के लिए वोटों की अपील कर रही है, उनका पूरा रिपोर्ट कार्ड आपके समक्ष रखना जरूरी है।
इसी कड़ी में ‘हिसाब जरूरी है’ की चौथी किश्त में बात प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की। 2014 में केंद्र में सरकार बनाने के बाद पीएम मोदी के फोकस में नए स्टार्ट अप्स शुरुआत से थे, वे चाहते थे कि किसी तरह से कम समय में ज्यादा कर्ज और अवसर युवा और समाज के दूसरे वर्गों को मिल सके। इसी वजह से 2015 में मुद्रा योजना की शुरुआत की गई, मुद्रा का मतलब है- माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी लिमिटेड (Micro Units Development & Refinance Agency Ltd)।
आसान शब्दों में कहें तो मुद्रा के जरिए आसानी से कर्ज बैंक द्वारा ही दिलवाया जाता है, यानी कि लोन देने का काम तो बैंक का ही है, बस सरकार ये सुनिश्चत कर रही है कि छोटे उद्यमियों को ये आसानी से मिल जाए, उन पर ज्यादा ब्याज दर ना लगे। सरकार मुद्रा के तहत तीन तरह के कर्ज दिलवाती है- शिशु (50 हजार कर्ज), किशोर (50 हजार से 5 लाख तक का कर्ज), तरुण (5 लाख रुपए से 10 लाख तक का कर्ज)। अब सरकार की इस योजना का दो आधार पर आंकड़ों के जरिए विश्लेषण किया जा सकता है।
किसे कितना कर्ज दिया गया?
विश्लेषण का पहला भाग तो ये है कि सरकार ने समाज के किस वर्ग को कितना कर्ज मुद्रा के जरिए मुहैया करवाया है। दूसरा भाग ये है कि जो कर्ज दिया गया, कितने लोगों ने वो समय रहते वापस किया और कितना कर्ज NPA में तब्दील हो गया।
अलग-अलग कैटेगरी में पिछले 8 सालों में कितना लोन मिला, इस टेबल से समझने की कोशिश करते हैं-
शिशु लोन | कितने लाभार्थी | कितना सैंक्शन | कितना मिला |
34 करोड़ 25 लाख, 36 हजार 204 लाभार्थी | 9 लाख 37 हजार 338 करोड़ का लोन सैंक्शन | 9 लाख 26 हजार 798 करोड़ का कर्ज मिला | |
किशोर लोन | 6 करोड़ 9 लाख, 54 हजार 997 लाभार्थी | 8 लाख 57 हजार 463 करोड़ लोन सैंक्शन | 8 लाख, 28 हजार, 194 करोड़ का लोन मिला |
तरुण लोन | 81 लाख, 70 हजार, 832 लाभार्थी | 5 लाख 53 हजार, 450 करोड़ लोन सैंक्शन | 5 लाख, 34 हजार 788 करोड़ लोन मिला |
अब केंद्र सरकार दावा करती है कि मुद्रा योजना के जरिए उसने महिलाओं पर खास फोकस किया है, ऐसे में फिर आसान टेबल के जरिए ही समझते हैं कि पिछले 8 सालों में कितनी महिलाओं को मुद्रा योजना के जरिए लोन मिल पाया है-
महिला लाभार्थी | कितना सैंक्शन | कितना मिला |
28 करोड़, 24 लाख, 88 हजार 984 महिला लाभार्थी | 10 लाख 58 हजार 623 करोड़ का लोन सैंक्शन | 10 लाख 21 हजार 457 करोड़ महिलाओं को मिला |
कर्ज तो ले लिया, वापस किया या नहीं?
अब मुद्रा योजना को समझने का दूसरा भाग है एनपीए के आंकड़ों को डीकोड करना। पिछले 9 सालों के अगर इस सफर को देखा जाए तो मुद्रा योजना के लिए काफी संघर्ष रहा है, उतार-चढ़ाव भी देखने को मिले हैं। एक आंकड़ा बताता है कि कोरोना काल के दौरान और उसके बाद मुद्रा लोन लेने वालों की हालत काफी खराब देखने को मिली। 2020-21 में मुद्रा लोन का एनपीए 3 गुना तक बढ़ गया था, यानी कि बैंकों ने तो सरकार की बात मानकर कर्ज दिया, लेकिन लोग ही वो वापस नहीं कर पाए।
एक ट्रेंड ये भी पकड़ में आया है कि जो नए स्टार्ट अप शुरू करने वाले शिशु लोन लेते हैं, उनमें अनुभव की कमी रहती है, ज्यादा स्किल सेट भी नहीं होता। उन मामलों में भी लोन के NPA बनने की संभावना ज्यादा देखने को मिली है। अगर थोड़ा और पीछे चला जाए तो 2019 में एक समय ऐसा आया था जब मुद्रा लोन के एनपीए में 137 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली। लेकिन ये आंकड़े पुराने हैं और सरकार दावा करती है कि समय के साथ स्थिति में काफी सुधार आया है। यहां तक कहा गया है कि दूसरे सामान्य एनपीए की तुलना में मुद्रा का एनपीए अब काफी कम है।
वित्त मंत्री के मुताबिक वर्तमान में शिशु लोन में एनपीए सिर्फ 2.25 प्रतिशत चल रहा है, किशोर लोन में सबसे ज्यादा 4.49 फीसदी और तरुण लोन में 2.29 फीसदी। सरकार का कहना है कि अब अगर मुद्रा के तहत कर्ज लिया जा रहा है तो समय रहते या फिर कई बार समय से पहले उसे वापस भी किया जा रहा है। अब ये आंकड़े मुद्रा योजना को लेकर सरकार के उत्साह को बढ़ाते हैं, केंद्र मान रहा है कि उसने कई युवाओं के भविष्य को संवारा है। लेकिन एक दूसरा पहलू ये भी है कि मुद्रा योजना पाने के लिए जिन औपचारिकताओं को पूरा करना पड़ता है, कई बार उसी पड़ाव पर लोग फंस जाते हैं और उस वजह से सस्ते कर्ज का सपना उनके लिए सपना ही रह जाता है।