मध्य प्रदेश के चुनावी समर में सियासी लोग खूब अदला-बदली में लगे हैं। कभी राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेहद करीबी रहे कंप्यूटर बाबा उनके खिलाफ जमकर मोर्चा संभाल रहे हैं। इसी हफ्ते उन्होंने शिवराज के खिलाफ परिवर्तन महायज्ञ भी किया जिसमें हजारों साधुओं का जमघट लगा था। परिवर्तन महायज्ञ को शिवराज सरकार के खिलाफ साधु-संतों का आशीर्वाद बताया जा रहा है।

…ऐसे राज्यमंत्री बने थे कंप्यूटर बाबा
गौरतलब है कि कंप्यूटर बाबा उस वक्त राष्ट्रीय सुर्खियों में आ गए थे जब शिवराज ने उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया था। कंप्यूटर बाबा ने ही ‘नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा’ में राज्य सरकार पर जमकर भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया था। शिवराज के खिलाफ अवैध उत्खनन का आरोप लगाने के बाद ही उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा मिला था। हालांकि बाद में उन्होंने राज्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर एक बार फिर शिवराज के विरोध की बागडोर संभाल ली।

बाबाओं का दखल इतना क्यों?
मध्य प्रदेश की राजनीति में इन बाबाओं का कितना दखल है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नर्मदा घोटाला रथ यात्रा का ऐलान किए जाने के बाद शिवराज ने चुनाव से कुछ ही महीनों पहले पांच बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा दिया था। लेकिन एक-एक कर फिर सारे खिलाफ होने लगे। अब चार दिन बाद चुनाव है और ऐसे में ये बाबा कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में करीब 125 विधानसभा क्षेत्र नर्मदा के आसपास आते हैं और 50 पर चुनावों में नर्मदा का सीधा असर होता है।