Lok Sabha Election 2019: आम चुनाव का बिगुल बज चुका है। चुनाव आयोग ने तारीखों की घोषणा कर दी है। देश में 11 अप्रैल से लेकर 19 मई तक सात चरणों में चुनाव होंगे। 23 को मतगणना भी होगी। इस दौरान रमजान का भी महीना पड़ रहा है रमजान का महीना 5 मई से शुरू होकर 4 जून तक है। चुनाव की तारीखें रमजान के महीने में पड़ने पर कई राजनीतिक दलों का मानना है कि इससे मुसलमानों के वोटिंग प्रतिशत में कमी आएगी। वहीं, एआईएमआईएम के प्रमुख और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी की इसके विपरित राय है। उन्होंने कहा कि इस महीने में वे शैतान के नुमाइंदों को हराएंगे। रमजान के महीने में चुनाव की तारीखें पड़ने से मुसलमान और जोश-खरोश के साथ वोट करेंगे।
ओवैसी ने कहा, “सबसे पहली बात ये है कि मैं सियासी पार्टी के नेताओं से कहना चाहूंगा कि वे मुसलमानों का ठेका न लें। चुनाव आएंगे और चले जाएंगे। मुसलमान रोजा रखेगा। रमजान को पूरे जोशो-खरोश के साथ मनाएगा। रोजा भी रखेंगे, नमाज भी पढ़ेंगे और रात में नमाज भी पढ़ेंगे। ये लोग जो कह रहे हैं कि मुसलमानों के रोजा रखने से चुनाव प्रतिशत पर प्रभाव पड़ेगा, सब बकवास बातें हैं। ऐसा कुछ नहीं होगा।”
Fasting is obligatory on Muslims. We cook, work, clean & take care of our families while fasting. It’s an insult to Muslims to say that Ramzan will affect our voting.
In Ramzan, Shaitan is enchained – inshallah one will use their vote to defeat his agents pic.twitter.com/HxfmhHvzML
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) March 11, 2019
उन्होंने आगे कहा, “मुझे पूरा विश्वास है कि मुसलमानों का जो आध्यात्मिक और रूहानी जज्बा होता है, वह रमजान में ज्यादा होता है। इस वजह से उनका वोट प्रतिशत बढ़ेगा। दूसरी बात उनको (राजनीतिक पार्टियों) समझाने की जरूरत है कि नई सरकार का गठन 3 जून से पहले होना है। ऐसे में चुनाव आयोग को तो रमजान के महीने में चुनाव करवाना पड़ेगा तभी तो समय पर नई सरकार बनेगी। रमजान 5 मई को शुरू होगा। चलेगा 4 जून तक। ऐसी स्थिति में रमजान के महीने में चुनाव की बात पर शिकायत करना गलत है। ये जम्हूरियत का काम है, चलता रहेगा। मुझे पूरा यकीन है कि उस दिन छुट्टी होगी और हम लोग रोजा में भी रहेंगे, हमारा इमान तथा रूहानी ताकत हमारे साथ होगा। हम रोड पर निकलकर वोट करेंगे।”
ओवैसी ने कहा, “जो लोग यह कह रहे हैं कि मुसलमान रमजान में वोटिंग नहीं करेंगे, क्या मुसलमान रोजा रखकर काम नहीं करते हैं? क्या दफ्तर नहीं जाते? क्या कारोबार नहीं करते हैं? अरे भाई, इतनी फिक्र जब मुसलमानों के लिए है तो साल के 11 महीने क्या करते हैं? बताइए। इलेक्शन कमीशन को तो रमजान में इलेक्शन करवाना ही है। इसलिए ये विवाद पूरी तरह गलत है। मुझे यकीन है कि मुसलमान हालत-ए-रोजा में रहकर वोट करेंगे। पोलिंग बढ़कर होगी। शैतान के नुमाइंदों को हराने के लिए सभी वोट करेंगे।”