Pratap Singh Khachariyawas Profile: कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए राजस्थान के जयपुर से प्रताप सिंह खाचरियावास को चुनावी मैदान में उतारा है। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के बेबाक नेताओं की गिनती में प्रताप सिंह खाचरियावास का नाम सबसे आगे रहता हैं। हर मुद्दे पर वे बेबाकी से अपनी राय रखते हैं। विपक्ष के आरोपों का जवाब देने के लिए वह पार्टी की तरफ से तत्पर रहते हैं। हर मुद्दे पर स्पष्ट राय रखना उनकी खूबी है। खुल्लम खुल्ला अंदाज में बात कहने के कारण उनकी अलग ही पहचान है।

प्रताप सिंह सीकर जिले के खाचरियावास गांव के रहने वाले हैं। यह गांव जयपुर जिले की सीमा पर मौजूद है। ऐसे में इनका सीधा जुड़ाव जयपुर से ही रहा। अपने गांव का नाम उन्होंने अपने नाम के साथ जोड़ लिया। ऐसे में इन्हें प्रताप सिंह शेखावत की बजाय प्रताप सिंह खाचरियावास के नाम से जाना जाता है। इनके पिता लक्ष्मण सिंह शेखावत बिजली विभाग में इंजीनियर थे और मां हिम्मत कंवर गृहणी हैं। प्रताप सिंह की शादी नीरज कंवर के साथ हुई। इनके दो बेटे हैं जिनके नाम आदित्य वर्धन सिंह खाचरियावास और कृष्ण वर्धन खाचरियावास हैं।

प्रताप सिंह के एक बड़े भाई हैं करण सिंह जो भारतीय नव निर्माण पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष हैं। प्रताप सिंह खाचरियावास की स्कूली शिक्षा आदर्श विद्या मंदिर, किशनगढ़ रेनवाल और टैगोर विद्या भवन, जयपुर से हुई। बाद उन्होंने आगे की पढाई जयपुर के माहेश्वरी स्कूल से की। उच्च शिक्षा के लिए राजस्थान कॉलेज में दाखिला लिया जहां से उन्होंने राजनीति विज्ञान में एमए की डिग्री हासिल की। इसके बाद एलएलबी भी की।

प्रताप सिंह खाचरियावास का राजनीतिक करियर

1992 में प्रताप सिंह खाचरियावास राजस्थान यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष बने। पहली ही बार चुनाव लड़ा और जीत दर्ज करने पर उनकी पहचान बढ़ गई। वे देश के पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत के भतीजे हैं। शेखावत तीन बार राजस्थान के सीएम रह चुके हैं। प्रताप सिंह ने भारतीय जनता पार्टी से राजनीति में कदम रखा। वे बीजेपी युवा मोर्चा के अध्यक्ष भी रहे। साल 2003 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया।

इसके बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बना लिया और वे चुनावी मैदान में कूद पड़े। खाचरियावास ने बनीपार्क विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा। वह चुनाव तो नहीं जीत पाए लेकिन 76 हजार से ज्यादा वोट हासिल करके वह दूसरे नंबर पर रहे। भारतीय जनता पार्टी से अनदेखी होने के बाद वह 2004 में कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए।

2008 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के टिकट पर सिविल लाइंस विधानसभा सीट से उन्हें चुनाव लड़ने का मौका मिला और खाचरियावास ने जीत हासिल की। साल 2013 के विधानसभा चुनावों में मोदी लहर के चलते खाचरियावास को हार का सामना करना पड़ा लेकिन 2018 के विधानसभा चुनावों में खाचरियावास सिविल लाइंस विधानसभा सीट से फिर से विधायक बने। गहलोत सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री का पद मिला। पहले उन्हें परिवहन मंत्री बनाया गया और बाद में पोर्टफोलियो बदलते हुए खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग का मंत्री बनाया। वहीं, इसके साथ ही साल 2023 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। बीजेपी के उम्मीदवार ने खाचरियावास को करारी शिकस्त दी।