PM Narendra Modi Cabinet Ministers List 2019: धर्मेंद्र प्रधान ने न तो 2019 का लोक सभा का चुनाव लड़ा न ही ओडिशा विधान सभा का चुनाव लेकिन ओडिशा में बीजेपी की चुनावी कमान उनके ही कंधों पर थी। पार्टी ने बेहतर परफॉर्म भी किया। अब उन्हें फिर से इसका इनाम केंद्र सरकार में मंत्री पद के रूप में दिया जा रहा है। प्रधान पिछली मोदी सरकार में भी मंत्री थे। उन्हें संगठन का उस्ताद माना जाता है। प्रधान पिछले एक दशक में राज्य से लेकर केंद्र तक और भाजपा संगठन में ताकतवर बनकर उभरे हैं। 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने पर उन्हें पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया था लेकिन पीएम मोदी की अति महत्वाकांक्षी योजना ‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’ की सफलता के बाद उन्हें प्रमोशन देते हुए कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया गया।
उत्कल यूनिवर्सिटी से एन्थ्रोपोलॉजी में स्नातकोत्तर प्रधान को 2019 के चुनावों में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के प्रतिदव्ंदी के तौर पर देखा जा रहा था। धर्मेंद्र प्रधान का ताल्लुक ओडिशा से है और भाजपा में उनके कद को देखते हुए ओडिशा में उन्हें पार्टी की तरफ से सीएम पद का चेहरा माना जा रहा था। ओडिशा में इस बार भाजपा को अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद भी थी, लेकिन बीजू जनता दल ने नवीन पटनायक के नेतृत्व में एक बार फिर शानदार प्रदर्शन करते हुए राज्य की 146 विधानसभा सीटों में से 115 पर जीत दर्ज कर लगातार पांचवी बार सत्ता में आने का रास्ता साफ कर लिया है। वहीं भाजपा को राज्य में सिर्फ 24 सीटें मिली हैं।
इससे पहले धर्मेंद्र प्रधान अपनी सभाओं में नवीन बाबू और उनके चार कार्यकाल पर सियासी आक्रमण भी करते नजर आए। इतना ही नहीं राज्य में बीजेपी की सत्ता कायम हो, इसके लिए उन्होंने बड़ा चुनावी ऐलान किया। कटक के चौदवार में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि अगर बीजेपी जीतती है तो 3.26 करोड़ लोगों को खाद्य सुरक्षा स्कीम के तहत 1 रुपये में खाने का सामान देगी, जिसमें 5 किलो चावल, आधा किलो दाल और नमक शामिल होगा। यह गौर करने वाली बात है कि बीजेपी ने अपने चुनावी संकल्प में इसकी घोषणा नहीं की थी, बावजूद इसके धर्मेंद्र प्रधान ने चुनावी पासा फेंका था।
जूतों और ब्रांडेड घड़ियों के शौकीन प्रधान को उनके आलोचक और विरोधी ‘बीजेपी का औरंगजेब’ कहते हैं। 1995 से संघ परिवार से जुड़े और भाजपा छोड़ चुके वरिष्ठ नेता सुभाष चौहान ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा, “ओडिशा बीजेपी सिर्फ एक व्यक्ति की इच्छा को पूरा करने में इस्तेमाल हो रही है कि कैसे प्रधान सीएम बनें।” राज्य भाजपा के पूर्व उपाध्यक्ष राजकिशोर दास ने चुनावों से ऐन पहले पार्टी छोड़ दी और उसका ठीकरा प्रधान पर फोड़ा। उन्होंने ‘कारवां’ मैग्जीन को दिए एक इंटरव्यू में प्रधान की तुलना मुगल शासक औरंगजेब से करते हुए कहा, “जैसे औरंगजेब ने गद्दी पाने के लिए अपने पिता को कैद कर लिया था, उसी तरह धर्मेंद्र प्रधान ने अपने पिता की संसदीय सीट से चुनाव लड़ने के लिए उनसे जबरन इस्तीफा दिलवा दिया।”
धर्मेंद्र प्रधान के पिता देबेंद्र प्रधान 1998 और 1999 में देवगढ़ लोकसभा सीट से भाजपा सांसद चुने गए थे। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उन्हें मंत्री भी बनाया गया था। इसके बाद 2004 में देवगढ़ से धर्मेंद्र प्रधान सांसद चुने गए। हालांकि, इसके बाद का चुनाव वो हार गए। बता दें कि धर्मेंद्र प्रधान ने अपनी राजनीतिक पारी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से 1983 में शुरू की थी। 1995 में वो AVBP के राष्ट्रीय सचिव बनाए गए। इसके बाद साल 2000 में ओडिशा की पल्लहारा विधानसभा सीट से विधायक बने। विधायक रहते ही देवगढ़ से 2004 में सांसद चुने गए। उसी साल वो भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए। इसके बाद धर्मेंद्र प्रधान को झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार और कर्नाटक का प्रभारी बनाया गया। वहां पार्टी की जीत के बाद 2010 में राष्ट्रीय महासचिव और 2012 में उन्हें राज्यसभा सांसद बनाया गया। 2018 में दोबारा राज्य सभा सांसद बनाए गए।