Phulpur Lok Sabha Chunav Result 2024: नेहरू के गढ़ में बीजेपी ने जीत का परचम लहराया है। फूलपुर सीट पर सपा के अमरनाथ मौर्या और बीजेपी के प्रवीण पटेल में कांटे की टक्कर रही। कड़े मुक़ाबले में बीजेपी प्रत्याशी प्रवीण पटेल ने सपा के अमरनाथ मौर्या को 4332 वोटों से मात दी है। एक जमाने में पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर विश्वनाथ प्रताप सिंह फूलपुर सीट पर अपनी किस्मत आजमा चुके हैं।
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फूलपुर सीट से बीजेपी ने इस बार वर्तमान सांसद केसरी देवी का टिकट काटकर उनके बेटे प्रवीण पटेल को चुनावी मैदान में उतार दिया है। वहीं उन्हें टक्कर देने के लिए बहुजन समाज पार्टी की तरफ से जगन्नाथ पाल दावेदारी ठोक रहे हैं। वही समाजवादी पार्टी ने अमरनाथ मौर्या को टिकट दिया है।
2014 के नतीजे
प्रत्याशी | वोट |
केशव प्रसाद मौर्य (बीजेपी) | 5,03,564 |
धर्म राज सिंह पटेल (सपा) | 1,95,256 |
अगर पिछले लोकसभा चुनाव नतीजे की बात करें तो फूलपुर में केसरी देवी पटेल ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने तब सपा बसपा के संयुक्त उम्मीदवार पंधारी यादव को बड़े अंतर से हरा दिया था। इससे पहले 2014 के नतीजे में तो बीजेपी ने अपने कद्दावर नेता केशव प्रसाद मौर्य को फूलपुर सीट से उतरा था और उन्होंने भी बड़ी जीत दर्ज की थी।
1977 में कमल बहुगुणा के चुनाव जीतने के बाद से यहां पर पिछड़ी जाति के उम्मीदवारों का ही दबदबा रहा है। 1977 के बाद 2004 में अतीक अहमद और 2009 में कपिल मुनि करवरिया के अलावा यहां से पिछड़ी जाति के उम्मीदवारों को ही जीत मिली है। इसमें से भी आठ बार पटेल समुदाय के उम्मीदवार चुनाव जीते हैं।
2019 के नतीजे
प्रत्याशी | वोट |
केशरी देवी पटेल | 5,44,701 |
पंधारी यादव | 3,72,733 |
1996 से लेकर 2004 तक यहां लगातार समाजवादी पार्टी को जीत मिली। समाजवादी पार्टी की जीत का क्रम 2009 में बसपा के उम्मीदवार कपिल मुनि करवरिया ने तोड़ा था। 2009 में करवरिया ने सपा के उम्मीदवार श्यामा चरण गुप्ता को 15000 वोटों के मामूली अंतर से हराया था। बसपा की बुनियाद रखने वाले कांशीराम ने भी फूलपुर लोकसभा सीट से 1996 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था लेकिन वह दूसरे स्थान पर रहे थे। 2009 में बसपा ने यहां से चुनाव जीता लेकिन 2014 के चुनाव में वह तीसरे नंबर पर चली गई।
फूलपुर लोकसभा क्षेत्र के जातीय समीकरणों को देखें तो राजनीतिक दलों से मिले आंकड़ों के मुताबिक, यहां कुल मतदाताओं की संख्या 20 लाख के आसपास है। इनमें 3 लाख से ज्यादा कुर्मी मतदाता हैं। मुस्लिम और दलित समुदाय के मतदाता 2.5-2.5 लाख हैं। यादव मतदाताओं की संख्या 2 लाख है। इसके अलावा ब्राह्मण और कायस्थ जाति के मतदाताओं की संख्या भी 2-2 लाख के आसपास है।